महाराष्ट्र के एक दंडाधिकारी के लिए महिला वकील के कारण गंवानी पड़ी अपनी नौकरी, पढ़े पूरी खबर

महाराष्ट्र के एक दंडाधिकारी के लिए महिला वकील के साथ ‘अंतरंग रिश्ता’ महंगा साबित हुआ। उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने नरमी बरतने की उनकी अपील ठुकराते हुए सेवा से बर्खास्त किए जाने को बरकरार रखा।

जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘हमारे विचार से वासना का अर्थ केवल पैसे की भूख नहीं है। यह कई प्रकार की हो सकती है। यह पैसे की भूख, शक्ति की भूख, देह की भूख आदि हो सकती है। इस मामले में अधिकारी ने मामले पर फैसला एक महिला वकील के साथ अंतरंग रिश्ते के कारण लिया न कि कानून के अनुसार उन्हें ऐसा करने की जरूरत होने के आधार पर लिया।’

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारी श्रीरंग यादवराव वाघमारे के लिए इस तरह से वशीभूत होना हानिकारक साबित हुआ है। उन्होंने एकजुटता, व्यवहार की अपेक्षाओं और जिस शुद्धता की उम्मीद थी, उससे समझौता किया। उनका व्यवहार ऐसा है जिसमें कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती है।

वाघमारे 1985 में न्यायिक दंडाधिकारी नियुक्त किए गए थे। फरवरी 2001 में उन्हें निलंबित किया गया और 2004 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्हें हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली थी।

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