भूख और प्यास से मर रहा है 21वीं सदी का भारत: भूख से व्याकुल था बच्चा, परेशान होकर खुद दे दी अपनी जान..

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में भूख से व्याकुल एक बच्चे के कथित रूप से कीटनाशक पीने की हृदयविदारक घटना सामने आई है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है. एनसीपीसीआर के एक अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक टीम तैनात की गई है. 

बच्चे की उम्र का खुलासा नहीं किया गया है. सूत्रों ने बताया कि यह घटना कथित रूप से 31 दिसंबर को हुई. भूख से व्याकुल बच्चे को बार बार मांगने पर भी स्थानीय दुकान से गेहूं नहीं मिला.  बच्चा जब भूख सह नहीं पाया तो उसने कीटनाशक पी लिया.  बच्चे की हालत गंभीर बताई जा रही है. अधिकारी ने बताया कि एनसीपीसीआर टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. 

भूख और प्यास से मर रहा है 21वीं सदी का भारत

आपको बता दें कि इससे पहले बुंदेलखंड के बांदा में भूख से मौत हुई थी. भूख से लगातार हो रही मौतों के बाद एक सर्वे किया गया था. जिसका नाम था, Bundelkhand Drought Impact Assessment Survey 2015, जिसमें हैरान और परेशान कर देने वाले तथ्य सामने आए थे. 

सर्वे में दावा किया गया था, कि 108 गांवों के 53 फीसदी गरीब परिवारों को 8 महीने तक दाल नसीब नहीं हुई थी.  69 फीसदी ग़रीब लोगों ने दूध नहीं पिया था.  सर्वे में कहा गया था, कि बुंदेलखंड में हर 5वां परिवार हफ्ते में कम से कम एक दिन भूखा सोता है.  सर्वे के मुताबिक पिछले वर्ष बुंदेलखंड के 38 फीसदी गांवों में भूख से मौतें हुई थीं. 

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United Nations की 2015 की रिपोर्ट कहती है, कि भारत में Extreme Poverty यानी भयानक गरीबी के हालात में रहने वाले लोगों की संख्या क़रीब 30 करोड़ है. आपको ये जानकर हैरानी होगी, कि दुनियाभर में भुखमरी का शिकार होने वाले कुल लोगों का एक चौथाई हिस्सा भारत में ही रहता है.  2015 के Global Hunger Index के मुताबिक, भुखमरी का सामना करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा भारत में है.  इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साढ़े 19 करोड़ लोगों को ज़रूरत के मुताबिक भोजन नहीं मिलता है.  यानी 30 करोड़ लोग भयानक रूप से गरीब हैं और 19 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता.  भारत में 5 साल से कम उम्र के 40 फीसदी से ज़्यादा बच्चों का वजन, तय मानकों से बेहद कम है. 

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