भारत के कड़े विरोध के बीच चीन में वन बेल्ट वन रोड समिट को किया शुरू

भारत के कड़े विरोध के बीच चीन के बीजिंग में रविवार को ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट समिट शुरू हो गया, जो दो दिन तक चलेगा. इसमें 29 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस, विश्व बैंक के प्रेसिडेंट जिम योंग किम, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लगार्ड के अलावा 130 देशों के अधिकारी, उद्योगपति, फाइनेंसर और पत्रकार हिस्सा ले रहे हैं.भारत के कड़े विरोध के बीच चीन में वन

रविवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वन बेल्ट वन रोड फोरम का उद्घाटन किया. दुनिया भर से आए 1,500 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने वन बेल्ट वन रोड इनिशिएटिव को ‘प्रोजेक्ट ऑफ द सेंचुरी’ करार दिया. उन्होंने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय परियोजना से दुनिया भर के लोगों को फायदा होगा. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि सालों पुरानी हजारों किलोमीटर लंबी प्राचीन सिल्क रूट शांति, समृद्धि, सहयोग और खुलेपन का प्रतीक रहा है. यह मानव सभ्यता की विरासत बन चुका है. इसी तरह नई सिल्क रोड परियोजना भी दुनिया में शांति, समृद्धि और स्थिरता लाएगी.

प्राचीन सिल्क रूट से प्रेरित है यह सिल्क रोड परियोजना

चीन की यह परियोजना उस ऐतिहासिक सिल्क रूट से प्रेरित है, जिसने प्राचीन में चीन को मध्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका से जोड़ा था. यूनेस्को ने प्राचीन सिल्क रूट को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया है. चीनी राष्ट्रपति ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को 2013 में पेश किया था.

भारत के साथी देश भी चीन के जाल में फंसे

भारत के साथी देश भी चीन के इस वन बेल्ट वन रोड परियोजना के जाल में फंस गए हैं. भारत से रोटी-बेटी का रिश्ता रखने वाला नेपाल भी शुक्रवार को इसमें शामिल हो गया, जबकि पाकिस्तान पहले से ही इसमें शामिल है. भारत का बेहद करीबी दोस्ता माना जाने वाला रूस भी इस समिट में भाग ले रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद समिट में मौजूद हैं. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे समेत दुनिया के 29 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इसमें हिस्सा ले रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान ने भी इसमें अपने प्रतिनिधि भेजे हैं.

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भारत ने किया बहिष्कार

चीन की बेहद महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ‘वन बेल्ट वन रोड’ समिट का भारत ने बहिष्कार किया है. भारत ने साफ तौर पर कहा है कि वह ऐसी किसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता, जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता हो. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने एक बयान में कहा, मामले में अपने सैद्धांतिक रुख से निर्देशित, हम चीन से उसकी संपर्क पहल वन बेल्ट वन रोड पर उपयोगी वार्ता में भागीदारी का आग्रह करते हैं, जिसका नाम बाद में बेल्ट एंड रोड पहल किया गया. हम चीन की तरफ से सकारात्मक जवाब का इंतजार कर रहे हैं. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भारत की गहरी आपत्ति है. दरअसल सीपीईसी गिलगिट और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के बालटिस्तान से होकर गुजरता है. भारत PoK सहित समूचे जम्मू कश्मीर राज्य को अपना अखंड हिस्सा मानता है. सीपीईसी चीन की विशिष्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की महत्वपूर्ण परियोजना है.

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