भाजपा की हार पर शिवसेना का तंज, बीजेपी के रथ के पहिये धंसे, मोदी और शाह किनारे पर आ गए

पांच विघानसभाओं के परिणाम आने के बाद एक भी राज्य में बहुमत न मिलने पर शिवसेना ने भाजपा पर हमला किया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि बीजेपी के रथ के पहिये धंस गए हैं। मोदी और शाह किनारे पर आ गए हैं। राहुल गांधी को मेरिट मिला। बता दें कि मंगलवार को राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के चुनाव परिणाम घोषित हुए जिसमें भाजपा एक भी राज्य में बहुमत साबित नहीं कर पाई। पाचों राज्यों में भाजपा को जितनी उम्मीद थी उतना अच्छा नहीं कर पाई। 

राजस्थान में जारी रही सत्ता परिवर्तन की परिपाटी
राजस्थान में हर पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन की परिपाटी बरकरार रही। वहां भाजपा को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस नई सरकार बनाने को तैयार है। यहां कांग्रेस के पक्ष में जिस तरह एकतरफा मुकाबला बताया जा रहा था, वैसा नहीं रहा। जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी, कांटे की टक्कर साफ दिखाई देने लगी। अंतत: वहां कांग्रेस को निर्णायक बढ़त मिल गई। राज्य में दोनों दलों के दिग्गजों ने अपनी-अपनी सीटें जीत लीं। कांग्रेस ने 230 सीटों में से 114 पर अपना कब्जा जमाया। दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झालरापाटन से मानवेंद्र सिंह को हरा दिया। वहीं कांग्रेस के अशोक गहलोत, सचिन पायलट और सी पी जोशी ने अपनी-अपनी सीटें जीत लीं। 

जबकि कांग्रेस की दिग्गज नेता गिरिजा व्यास को गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा। राज्य में कई मौजूदा मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा। राज्य में वर्ष 1993 के बाद कोई भी दल लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाया। तब भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी। इसके बाद 1998 व 2008 में कांग्रेस तो 2003 व 2013 में भाजपा सत्ता में रही। अब यहां गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।

छत्तीसगढ़ में चला कांग्रेस का किसान दांव

छत्तीसगढ़ में किसानों की ऋण माफी समेत फसलों के उचित मूल्य के कांग्रेस के वादे का दांव सफल रहा। यहां भाजपा को राज्य की 90 में से 17 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस पहली बार दो तिहाई बहुमत से जीती। इस राज्य में अब तक हुए तीन चुनावों में दोनों दलों के बीच हार-जीत का अंतर एक फीसदी से कम रहा है। राज्य में मतदाताओं का गुस्सा इस कदर था कि रमन सिंह सरकार के पांच मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप, महेश गगडा, दयालदास बघेल और अमर अग्रवाल चुनाव हार गए। राज्य में भाजपा की बड़ी हार का कारण अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ भी रही। पहली बार चुनाव में उतरी पार्टी को हालांकि खास कामयाबी तो नहीं मिली, लेकिन जोगी के अनुसार उनकी पार्टी भाजपा के वोट काटने में सफल रही।

तेलंगाना में चला केसीआर का जादू

तेलंगाना में मुख्यमंत्री केसीआर का जादू मतदाताओं के सिर चढ़ कर बोला। राज्य की 119 में से 87 सीटों पर कब्जा कर सत्तारूढ़ टीआरएस ने सूबे में कांग्रेस गठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। राज्य में जल्द चुनाव कराने के लिए केसीआर सरकार ने विधानसभा को भंग कर दिया था। केसीआर का यह दांव सफल साबित हुआ। 

मिजोरम में 10 साल बाद जोरामथांगा की जोरदार वापसी 

मिजोरम में हर 10 साल में सत्ता बदलने का इतिहास बरकरार रहा। विद्रोही से नेता बने जोरामथांगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने राज्य की 40 में से 26 सीटों पर जीत दर्ज सत्ता में जोरदार वापसी की है। कांग्रेस को जनता ने बुरी तरह नकार दिया और उसे मात्र 5 सीटों पर जीत नसीब हुई। मुख्यमंत्री लाल थनहवला को दोनों सीटों पर बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही कांग्रेस पूर्वोत्तर में सभी राज्यों से बाहर हो गई है। वहीं, भाजपा ने एक सीट जीतकर राज्य में पहली बार खाता खोला। इससे पहले एमएनएफ ने 1998 विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और 21 विधायकों के साथ सरकार बनाई। जोरामथांगा पहली बार मुख्यमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने 2003 के राज्य विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखी और वह मुख्यमंत्री बने रहे।

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