बिना शिवसेना सरकार चलाने की बात करने लगी बीजेपी

मुंबई. राष्ट्रपति चुनाव में क्राॅस वोटिंग से राज्य की राजनीति गरमा गई है। इससे विपक्ष जहां सकते में है, वहीं सत्ताधारी भाजपा में खुशी का माहौल है। विपक्ष के 22 विधायकों की क्राॅस वोटिंग से उत्साहित पार्टी नेताओं को लग रहा है कि अब बगैर शिवसेना के सरकार चलाई जा सकती है। हालांकि, तकनीकी रूप से यह संभव नहीं दिखाई देता। विधानसभा में कांग्रेस के 42 व राकांपा के 41 विधायक हैं, जबकि यूपीए उम्मीदवार मीरा कुमार को 83 की बजाय 77 वोट ही मिले। साथ ही सपा, मनसे, शेकाप व एमआईएम जैसे छोटे दलों ने भी एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान किया।
बिना शिवसेना सरकार चलाने की बात करने लगी बीजेपी
 
महाराष्ट्र से कोविंद को 208 वोट मिले। इसमें से यदि शिवसेना के 63 विधायकों के वोट को निकाल दिया जाए तब भी भाजपा के साथ 145 विधायक दिखाई देते हैं, जबकि बहुमत के लिए इतने ही विधायकों की जरूरत है। हालांकि, शिवसेना के सरकार से अलग होने की स्थिति में भाजपा को सदन अथवा राजभवन में बहुमत साबित करने के लिए 145 विधायकों को सामने लाना होगा। यह स्थिति राष्ट्रपति चुनाव में क्राॅस वोटिंग से अलग होगी।
क्राॅस वोटिंग पर दिल्ली में होगा फैसला: चव्हाण
क्राॅस वोटिंग के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि किसने देखा कि किसने किसको वोट दिया। क्राॅस वोटिंग का दावा पुख्ता नहीं हो सकता। चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस विधायकों द्वारा क्राॅस वोटिंग किए जाने की मामले पर पार्टी हाईकमान दिल्ली में फैसला लेगा। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के वोटों में सेंध लगाने के बाद अब बगैर शिवसेना के भाजपा द्वारा सरकार चलाने के सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा कि दरअसल शिवसेना मजबूरी की शिकार है। भाजपा अपने सहयोगी दल शिवसेना को खत्म करके ही दम लेगी।
 
कांग्रेस-राकांपा विधायकों ने की क्राॅस वोटिंग : ताबे
महाराष्ट्र युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष सत्यजीत तांबे ने ट्वीट कर कांग्रेस-राकांपा विधायकों द्वारा क्राॅस वोटिंग किए जाने की आशंका व्यक्त की है। अपने ट्वीट में तांबे ने कहा, ‘मुझे मिली जानकारी के मुताबिक अहमदनगर जिले के 2 विपक्षी विधायकों ने भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वोट दिया है।’
राणे हो सकते हैं भाजपाई
राष्ट्रपति चुनाव बीतने के बाद अब कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे कभी भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव बीतने के बाद अब राज्य में तेजी से दलबदल होगा। कांग्रेस-राकांपा व शिवसेना के कई नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसमें कुछ विधायक भी शामिल हैं।
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