चुनाव बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर आम आदमी को लग सकता है बड़ा झटका, पढ़े पूरी खबर…

लोकसभा चुनाव के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से आम लोगों पर महंगाई की मार पड़ सकती है. दरअसल, अमेरिका ने भारत समेत अन्य देशों को ईरान से कच्चा तेल आयात करने को लेकर मिली छूट की अवधि आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है.

इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तीन फीसदी की तेजी आई है, जो 6 महीने का ऊच्चतम स्तर है. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की आशंका है. इस वजह से आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं.

2018 में उच्चतम स्तर पर था पेट्रोल

साल सितंबर मे जब कच्चे तेल का वायदा भाव 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था, उस वक्त मुंबई समेत देश के कई महानगरों में पेट्रोल के दाम 95 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गए थे. वर्तमान में कच्चे तेल का वायदा भाव 74 डॉलर के ऊपर चला गया है.

कच्चे तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई के लिए भारत की ओर से सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मैक्सिको जैसे देशों से वैकल्पिक स्त्रोतों का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि भारत को इन देशों से कच्चे तेल के आयात के लिए भी ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है. इसके अलावा इस महीने के आखिर में होने वाली बैठक में भारत, अमेरिकी सरकार से छूट की मियाद को 2 मई से आगे बढ़ाने के लिए दबाव डाल सकता है.

बता दें कि चीन के बाद ईरान के कच्चे तेल का आयात करने वाला भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. आंकड़ों पर गौर करें तो भारत अपनी खपत का 10 फीसदी तेल ईरान से खरीदता है. हालांकि अमेरिकी प्रतिबंध के बाद 2018-19 में ईरान से तेल के आयात में थोड़ी कमी आई है, लेकिन यह अभी भी करीब दो करोड़ टन सालाना है.

भारत सरकार की क्या है तैयारी  

हालांकि भारत सरकार में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि भारतीय रिफाइनरियों को कच्चे तेल की पर्याप्त आपूर्ति के लिए एक मजबूत योजना तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देशों से अतिरिक्त आपूर्ति की व्यवस्था होगी.

इंडियन ऑयल का क्या है कहना

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने बताया कि तेल रिफानरी कंपनियां कई स्त्रोतों से कच्चे तेल का आयात करती हैं और पिछले महीनों से वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तैयारी कर रही हैं. संजीव सिंह ने साथ ही यह स्वीकार किया कि अमेरिका के फैसले से कच्चे तेल की कीमतें अस्थायी तौर पर ऊपर जा सकती हैं.

बता दें कि इंडियन ऑयल के पास साल के दौरान मैक्सिको से 7 लाख टन तय खरीद के ऊपर 7 लाख टन अतिरिक्त कच्चा तेल लेने का विकल्प है. इसी तरह सऊदी अरब से 56 लाख टन के टर्म कॉन्ट्रैक्ट के ऊपर 20 लाख टन अतिरिक्त कच्चा तेल लिया जा सकता है. जबकि कुवैत से 15 लाख टन और संयुक्त अरब अमीरात से 10 लाख टन कच्चा तेल लेने का विकल्प है.

अमेरिका ने क्यों लगाया बैन

दरअसल, परमाणु मुद्दे पर ईरान के साथ 2015 में हुये समझौते से पिछले साल अमेरिका बाहर हो गया था. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग करते हुए ईरान के खिलाफ फिर से प्रतिबंध लगा दिए. हालांकि, अमेरिका ने चीन , भारत , जापान , दक्षिण कोरिया , ताइवान , तुर्की, इटली और यूनान को 6 महीने प्रतिबंध से छूट दी थी. इसके साथ ही इन सभी देशों को ईरान से आयात किये जाने वाले कच्चे तेल में कटौती को भी कहा था. यह छूट नवंबर 2018 में शुरू हुई थी और दो मई को समाप्त हो रही है.

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