पीसी चाको और शीला दीक्षित के बीच चल रहे शीतयुद्ध, ब्लॉक अध्यक्षों ने भेजे संभावित उम्मीदवारों के नाम

प्रदेश कांग्रेस में राजनीति चरम पर है। प्रदेश प्रभारी पीसी चाको और प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित के बीच चल रहे शीतयुद्ध से दिल्ली की पूरी कांग्रेस परिचित है। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तहत टिकट के लिए सभी ब्लॉक अध्यक्षों से तीन-तीन संभावित प्रत्याशियों के नाम मांगे थे। इसकी अंतिम तारीख 22 जून रखी गई थी।

शीला दीक्षित ने जिस दिन ब्लॉक अध्यक्षों से नाम मांगे, उसके अगले ही दिन प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने शीला की योजना पर आपत्ति जता दी और कहा कि इससे पार्टी में अंतर्कलह बढ़ेगी। इसके बाद अंतिम तारीख बढ़ा कर एक जुलाई कर दी गई। लेकिन, शनिवार को पता चला कि 200 से अधिक ब्लॉक अध्यक्षों ने तीन-तीन नामों का बंद लिफाफा प्रदेश कार्यालय में जमा कर दिया है। दूसरी तरफ ब्लॉक अध्यक्षों में इस बात की खुशी है कि पहली बार विधानसभा टिकट के लिए उनकी राय ली जा रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि यह बदलाव आगामी विधानसभा चुनावों में जरूर रंग दिखाएगा।

ब्लॉक अध्यक्षों ने मानी शीला दीक्षित की बात

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शीला दीक्षित द्वारा निर्धारित 22 जून को ही ब्लॉक अध्यक्षों ने अंतिम तारीख मानी। अब प्रदेश कार्यालय इस बात की तस्दीक करेगा कि दिए नाम उसी ब्लॉक अध्यक्ष ने दिए हैं, उसे बाद में बदल तो नहीं दिया गया। ऐसी भी सूचना मिली है कि कई जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्षों पर अपने नाम देने के लिए दबाव बना रहे हैं। इसके लिए ब्लॉक अध्यक्ष को अलग-अलग बुलाकर बैठक भी की गई है और अपने चहेते नेताओं के नाम डालने का दबाव बनाया। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस ने तय किया कि जो नाम बंद लिफाफे में आए हैं, उस ब्लॉक अध्यक्ष से फोन कर पूछा जाए कि उन्होंने कौन-कौन से नाम दिए हैं?

तीनों कार्यकारी अध्यक्षों के साथ मंथन करेंगी शीला

इससे ब्लॉक अध्यक्ष पर डाला जा रहा दवाब खत्म हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सोमवार तक सभी ब्लॉक अध्यक्षों के नाम आ जाएंगे, उसके बाद उन नामों की छंटनी होगी, इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित तीनों कार्यकारी अध्यक्षों के साथ मंथन करेंगी। माना जा रहा है कि विधानसभा की उम्मीदवारों के लिए इस तरह से नाम आने पर निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं में जोश का संचार होगा और पार्टी बेहतर करेगी। ब्लॉक अध्यक्षों का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है कि पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री सब फोन कर कह रहे हैं कि भाई उनका नाम डाल देना।

दूसरे गुट में बेचैनी

यह तो सब को मालूम है कि प्रदेश कांग्रेस में जबरदस्त गुटबाजी है। विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए शीला दीक्षित का यह तरीका दूसरे गुट को नहीं सुहा रहा है। प्रदेश प्रभारी पीसी चाको नहीं चाहते कि उम्मीदवारों का चयन इस तरह से हो। दूसरे गुट में इससे बेचैनी है। उनका यह भी कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, अंतिम समय में तो सिफारिश ही चलेगी।

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