पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने से अब सिर्फ एक व्यक्ति बचा सकता है, जानिए कौन है…

संयुक्त राज्य अमेरिका पेरिस में होने वाली आगामी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में पाकिस्तान के मुद्दे पर नरम रुख अपना सकता है. इससे पाकिस्तान उम्मीद कर रहा है कि अगर उसे ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर नहीं भी किया गया तो उसके ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखे जाने से बचने की संभावना है. द न्यूज इंटरनेशनल ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के हवाले से यह जानकारी दी है.

पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने, बाहर निकालने या फिर उसको ब्लैकलिस्ट करने को लेकर फ्रांस की राजधानी में एफएटीएफ की एक अहम बैठक होने वाली है. इस बैठक में पाकिस्तान ने बीते तीन माह के दौरान आतंकवाद के लिए हो रही फंडिंग रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं, उसको देखते हुए फैसला होगा.

इस बैठक में जहां भारत का जोर पाकिस्तान की सच्चाई को उजागर करते हुए उसे ब्लैकलिस्ट कराने पर होगा, वहीं पाकिस्तान का जोर ग्रे लिस्ट से निकलने के साथ ही खुद को ब्लैकलिस्ट से बचाने के लिए भी होगा. एफएटीएफ की पेरिस में 16 से 21 फरवरी तक बैठक होगी. इस दौरान पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी संगठनों को धन मुहैया कराने की समीक्षा होने की प्रबल संभावना है.

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पाकिस्तान एफएटीएफ जांच में अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को साधने में जुटा हुआ है. चीन, तुर्की और मलेशिया द्वारा भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किए जाने की संभावना है.

दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए अमेरिकी सहायक सचिव एलिस वेल्स ने गुरुवार को कहा था कि हाफिज सईद को अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाना पाकिस्तान द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.

दरअसल, यह कदम इस्लामाबाद में खान सरकार की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उठाया गया है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर होने के लिए पाकिस्तान की छवि को बेहतर दिखाने का प्रयास तेज किए हैं. अमेरिका ने हालांकि 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने के लिए एफएटीएफ के कदम का समर्थन किया था.

द न्यूज इंटरनेशनल ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ट्रंप प्रशासन ने अब पाकिस्तान के लिए अपना दृष्टिकोण बदल दिया है, क्योंकि उसे अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति-समझौते के लिए इमरान खान की सरकार पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

 

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