पहली बार सुखोई से दागी 2.5 टन वजनी ब्रह्मोस, रक्षामंत्री बोलीं- ये वर्ल्ड रिकॉर्ड
नई दिल्ली.इंडियन एयरफोर्स ने पहली बार सुखोई फाइटरजेट से सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का टेस्ट किया। डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, बुधवार को मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में टारगेट को कामयाबी से हिट किया। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ”भारत ने सुखोई 30mki से ब्रह्मोस (ALCM) का टेस्ट कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। ब्रह्मोस टीम और डीआरडीओ को कामयाबी के लिए बधाई।” बता दें कि भारतीय वायुसेना दुनिया की ऐसी पहली एयरफोर्स है, जिसके जंगी बेड़े में ब्रह्मोस जैसी मिसाइल है। इसकी स्पीड 2.8-3.0 मैक (3675-3430 Kmph) है। सटीक निशाने के चलते इसे ‘दागो और भूल जाओ’ मिसाइल भी कहा जाता है।
ब्रह्मोस के लिए सुखोई में बदलाव किए
– डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, मिसाइल बुधवार को फाइटरजेट से छोड़ी गई। इसने बंगाल की खाड़ी में मौजूद टारगेट को कामयाबी से हिट किया। यह सुखोई विमान से ब्रह्मोस एयर लॉन्चड क्रूज मिसाइल (ALCM) का पहला टेस्ट है। इससे युद्ध क्षेत्रों में एयरफोर्स की ताकत में इजाफा होगा।
– सुखोई विमान पहले ब्रह्मोस के साथ कामयाबी से उड़ान भर चुका है। 2.5 टन वजनी मिसाइल को साथ लेकर उड़ने के लिए HAL ने सुखोई विमान में कुछ जरूरी बदलाव किए थे।
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अप्रैल में पहली बार वॉरशिप से जमीन पर दागा
– अप्रैल, 2017 में पहली बार नेवी ने ब्रह्मोस को वॉरशिप से जमीन पर दागा था। ये टेस्ट कामयाब रहा था। नेवी को इसका वॉरशिप वर्जन मिल चुकी है।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियतें
– रफ्तार:ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक (3675 Kmph) स्पीड के साथ सबसे तेज मिसाइल।
– ताकत:सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 300 किलो एटमी हथियारों के हमला कर सकती है।
– रेंज:ब्रह्मोस मिसाइल 290 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों पर अटैक कर सकती है।
– वजन: 3000 kg, लंबाई- 8 M, चौड़ाई- 0.6 M
दागो और भूल जाओ
– निशाना: ब्रह्मोस का निशाना अचूक है। इसलिए कहते हैं, ‘दागो और भूल जाओ’
– ब्रह्मोस को सबमरीन, वॉशिप, एयरक्राफ्ट, जमीन से लॉन्च किया जा सकता है।
कैसे बनी है ब्रह्मोस?
– भारत-रूस के ज्वाइंट वेंचर के तहत DRDO ने बनाई है।
– नाम:नदियों पर ब्रह्मपुत्र (भारत), मसक्वा (रूस) से मिला।
न्यूक्लियर वॉर हेड तकनीक से लैस है ब्रह्मोस
– ब्रह्मोस न्यूक्लियर वॉर हेड तकनीक से लैस है। दुनिया की कोई भी मिसाइल तेज गति से हमले के मामले में इसकी बराबरी नहीं कर सकती। यहां तक की अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे कमतर है।
अरुणाचल में बॉर्डर पर तैनात हैं ब्रह्मोस
– भारत ने ब्रह्मोस को अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी सीमा पर तैनात किया था। तब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एतराज जताया। पीएलए ने अपने माउथ पीस ‘पीएलए डेली’ में लिखा था कि इससे बॉर्डर पर खतरा पैदा होगा।
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– 2007 में ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को इंडियन आर्मी के सैन्य बेड़े में शामिल किया गया था। आर्मी के पास फिलहाल इसकी तीन रेजिमेंट हैं।