पश्चिम बंगाल इकाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य की किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य की किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया है. वरिष्ठ भाजपा नेता मुकुल रॉय ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं. इन सीटों पर सात चरणों में मतदान होने हैं.

रॉय ने कहा,‘हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपनी इच्छा जाहिर की है कि वह इस बार पश्चिम बंगाल की किसी ऐसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें जहां अंतिम दो चरणों में 12 मई और 19 मई को मतदान होने वाले हैं.’ रॉय ने कहा, ‘उन्होंने (मोदी ने) अभी कुछ नहीं कहा लेकिन हमें उम्मीद है कि वह हमारा अनुरोध मानेंगे.’

रॉय रैली में पीएम से किया अनुरोध 
भाजपा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रॉय ने दक्षिण दिनाजपुर के बुनियादपुर में हुई चुनावी रैली में प्रधानमंत्री से यह अनुरोध किया. भाजपा की पश्चिम बंगाल की इकाई ने यह अनुरोध मतदाताओं को इस बारे में संदेश देने के लिए किया है कि राज्य का पार्टी की योजना में बेहद महत्व है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में 23 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखा है.

पीएम ने साधा ममता बनर्जी पर निशाना
वहीं तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर बरसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों के शुरुआती दो चरणों के बाद ‘स्पीडब्रेकर दीदी’ की नींद उड़ गई है.

दक्षिण दिनाजपुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने मुख्यमंत्री ममता पर ‘मां, माटी और मानुष’ के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा, ‘राज्य में पहले और दूसरे चरण के मतदान के बाद आई खबरों के बाद स्पीडब्रेकर दीदी की नींद उड़ गई है.’

ममता का मजाक उड़ाते हुए मोदी ने कहा कि शुरुआत में उनके बारे में राय बनाने में उनसे गलती हुई थी, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें तृणमूल सुप्रीमो के ‘असली रंग’ का पता चला.

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं जब उन्हें टीवी पर देखता था और फिर समय-समय पर मिलता था, तो मुझे लगा कि वह सादगी, कड़ी मेहनत की प्रतीक हैं और वास्तव में बंगाल के विकास में दिलचस्पी रखती हैं.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लेकिन जब मैं प्रधानमंत्री बन गया और उनकी गतिविधियां देखीं तो मेरी आंखें खुल गईं. मैंने उनके असली रंग को पहचाना. बंगाल के बच्चे भी इस बात को समझ गए हैं.’

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