परिवहन विभाग ने दुर्घटना पर अब नियम किये सख्त, पुलिस की बढ़ा दी और भी जिम्मेदारी….

परिवहन विभाग ने अब दुर्घटना के मामलों में नियमों को सख्त करते हुए पुलिस की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है। अब पुलिस की दुर्घटना के मामलों में जिम्मेदारी बढ़ाते हुए समय से जांच करने के साथ ही दावे की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से दावा अभिकरण के समक्ष सौंपने का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं दुर्घटना में शामिल वाहन को तब तक नहीं छोड़ा जाएगा, जब तक प्रतिकर का भुगतान नहीं हो जाता। बीमा पॉलिसी के नकली पाए जाने की स्थिति में वाहन को नीलाम कर यह राशि दावा अभिकरण को दावे में मामले में प्रतिकर देने के लिए जमा की जाएगी। अभी तक पुलिस दावा अभिकरण के मांगने पर ही रिपोर्ट देती थी।

कुछ समय पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग को दुर्घटना के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार नियमावली बनाने के निर्देश दिए थे। इस पर अब परिवहन विभाग ने उत्तराखंड मोटर यान नियमावली में संशोधन किया है। सचिव परिवहन शैलेश बगोली द्वारा जारी संशोधित नियमावली में यह स्पष्ट किया गया है कि वाहन दुर्घटना सूचना मिलने अथवा प्रथम सूचना रिपोर्ट के लिए अलग रजिस्टर बनाया जाएगा।

इसमें किसी व्यक्ति द्वारा वाहन दुर्घटनाओं के मामलों को शामिल किया जाएगा। पुलिस द्वारा नामित जांच अधिकारी दुर्घटना स्थल से काम करना शुरू करेगा। इसके लिए गवाहों के बयान लेने के साथ ही दुर्घटना में शामिल वाहनों की जानकारी लेगा। वह दुर्घटना स्थल के सभी कोणों की फोटोग्राफी भी सुनिश्चित कराएगा। दुर्घटना में मृत्यु होने के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी दावा अभिकरण को प्रस्तुत की जाएगी। पुलिस को बीमा कंपनियों के मांगने पर भी ये सारे दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। जांच अधिकारी दुर्घटना में शामिल वाहन के सभी दस्तावेज एकत्र करेगा और उनकी फोटोकॉपी अपने पास रखेगा। घायल अथवा मृतक व्यक्ति के परिजनों द्वारा दावा अभिकरण के सामने उपस्थित न होने पर वाद सीधे बंद नहीं किया जाएगा पहले यह प्रयास किया जाएगा कि उन्हें इसके लिए बुलाया जाए।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस न होने पर नहीं छूटेंगे वाहन

नियमावली में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी न्यायालय दुर्घटना में मृत्यु अथवा विकलांगता का कारण बनने वाले वाहन को अवमुक्त नहीं कर सकेगा, यदि उसके पास थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं है। ऐसे वाहनों को तभी छोड़ा जाएगा जब वाहन स्वामी ऐसे मामलों में उचित मुआवजा राशि जमा कराएगा। यदि वाहन बीमा में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं है या बीमा नकली है तो वाहन नीलाम कर दिया जाएगा। नियमावली में बीमा कंपनियों के लिए भी गाईडलाइन जारी की गई है। उन्हें भी बीमा संबंधी सभी दस्तावेज अभिकरण को दिखाने होंगे वह तय भुगतान करना होगा।

सात दिनों में दे सकती हैं आपत्ति व सुझाव 

परिवहन विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि संशोधित नियमावली गजट नोटिफिकेशन होने के सात दिनों के भीतर कोई भी इस पर अपनी आपत्ति व सुझाव सीधे सचिव परिवहन विभाग को दे सकता है, जिन पर तय समय सीमा के बाद सुनवाई की जाएगी।

एमवी एक्ट की छह धाराओं में पुलिस को कम्पांडिंग का अधिकार

संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के तहत पुलिस पहले की तरह ही अब छह धाराओं में मौके पर कम्पाउंडिंग करेगी। इसके लिए संशोधित दरों पर कम्पाउंडिंग करने के अधिकार पुलिस को दे दिए गए हैं। संशोधित मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद से पुलिस इन धाराओं में अभी तक केवल चालान कर रही थी, जो या तो सीधे कोर्ट या फिर परिवहन विभाग को भेजे जा रहे थे।

 

प्रदेश में पुलिस को वर्ष 2016 में छह धाराओं में चालान कर कम्पाउंडिंग फीस वसूलने के अधिकार दिए गए थे। इनमें बिना नंबर प्लेट के वाहन चलाना, बिना हेलमेट के वाहन चलाना, एक्ट में दिए गए निर्देशों का पालन न करना, गलत सूचना देना अथवा तथ्य छिपाना, खतरनाक तरीके से वाहन चलाना अथवा वाहन चलाते हुए मोबाइल का प्रयोग करना, शारीरिक अथवा मानसिक रूप से अस्वस्थ होने पर वाहन चलाना और बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाना आदि शामिल हैं। लेकिन, संशोधित मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद भी पुलिस परिवहन विभाग की ही तरह इन धाराओं में कम्पाउंडिंग के अधिकार की मांग कर रही थी। बीते दिनों इसी संबंध में हुई पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों की बैठक के बाद पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने सोमवार को इस बाबत आदेश जारी कर दिए। अब संबंधित छह धाराओं में अपराध मिलने पर उप निरीक्षक स्तर तक के पुलिसकर्मी मौके पर ही कम्पाउंडिंग कर सकेंगे।

एमवी एक्ट की कार्रवाई में करें नियमों का पालन

पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने जिलों की पुलिस को निर्देशित किया कि एमवी एक्ट की कार्रवाई में नियमों का पालन करें। उन्होंने बताया कि कम्पाउंडिंग की धाराओं में चालान भुगतने के लिए दस से पंद्रह दिन की मोहलत दी जाती है। इसके बाद चालान को कोर्ट भेज दिया जाता है। वहीं, उन्होंने कहा कि प्रदूषण प्रमाण पत्र पेश करने के लिए सात दिन और अन्य कागजों को लेकर पंद्रह दिन का वक्त वाहन स्वामी को देना चाहिए।

अब फिर से बढ़ेगा चालान का ग्राफ

संशोधित एमवी एक्ट लागू होने के बाद छह धाराओं में पुलिस को कम्पाउंडिंग का अधिकार मिलने से चालानी कार्रवाई में तेजी आने की उम्मीद है। दरअसल अब से पहले कम्पाउंडिंग को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश न होने से पुलिस कोर्ट के चालान कर रही थी। वह मौके पर जुर्माना नहीं वसूल रही थी।

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