पराली जलाने से रोकने की कोशिशें नाकाम, 3 महीनों में 7645 स्थानों पर हुई राख

लखनऊ। आने वाले दिन सेहत के नजरिए से भारी पड़ सकते हैं। बढ़ती ठंड के कारण हवा जहां भारी हो रही है वहीं किसान पराली जलाना नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में स्मॉग लोगों की सेहत के साथ-साथ जनजीवन को भी प्रभावित करेगा। रिमोट सेंसिंग सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार अक्टूबर से 10 दिसंबर तक कुल 7645 जगह पराली जलाई गई।

साफ है कि कृषि विभाग की पराली को जलाने से रोके जाने सारी कोशिशें राख हो गईं। यह स्थिति तब है कि जबकि केंद्र सरकार द्वारा पराली व कृषि अवशेष को जलाने से रोकने के लिए कई तरह की योजनाएं लागू की गईं थीं। इसमें किसानों को फसल के खूंट निकालने के लिए यंत्र उपलब्ध कराना था।

इसके अलावा जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए थे जिसमें किसानों को खेत पर ही अवशेष जलाने से होने वाले नुकसानों की जानकारी दी जानी थी लेकिन तमाम इंतजामों को धता बताते हुए किसानों ने पराली के साथ-साथ कृषि अवशेष को जला डाला। जाहिर है कि इसका ही असर है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित सूबे के तमाम इलाकों में एयार क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) लगातार 300 से ऊपर अत्यंत खराब स्थिति में बना हुआ है।
केवल प्रदेश में ही नहीं पंजाब व हरियाणा में भी जमकर पराली जलाई जा रही है। इसका असर दिल्ली ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राजधानी लखनऊ वह अन्य शहरों पर साफ दिख रहा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी और तापमान गिरेगा हवा भारी होगी। इससे कोहरे के साथ प्रदूषण मिलकर स्मॉग पैदा करेगा। यानी आने वाले दिनों में प्रदूषण लोगों के लिए बड़ी समस्या बनेगा।  

राजधानी में एक्यूआइ 360, गाजियाबाद सबसे प्रदूषित रहा

मंगलवार को राजधानी में एक्यूआइ 360 दर्ज किया गया। यह सोमवार के मुकाबले 28 यूनिट कम रहा। देश का सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद रहा जहां एक्यूआइ 433 रिकार्ड हुआ। ग्रेटर नोएडा 429, नोएडा 420, बागपत 410, हापुड़ 408, कानपुर में एक्यूआइ 390 रिकार्ड किया गया। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो सकती है बूंदाबांदी

जम्मू कश्मीर के करीब पश्चिमी विक्षोभ बना हु आ है जिसके चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदली व बूंदाबांदी की संभावना है। हालांकि लखनऊ व आसपास मौसम साफ बना रहेगा। सुबह-शाम कोहरा होगा लेकिन दिन में आसमान साफ रहेगा।

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