पंजाब कैबिनेट की बैठक में किया ये बड़ा फैसला, सरकार ने नई पेंशन योजना में अपना हिस्‍सा बढ़ाने का किया निर्णय

पंजाब के कैप्‍टन अमरिंदर सिंह कैबिनेट ने आज राज्‍य के सरकारी कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी दी है। कैबिनेट की बैठक में फैसला किया गया कि राज्‍य सरकार नई पेंशन स्‍कीम में अपना हिस्‍सा बढ़ाएगा। बैठक में आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर घिरी पंजाब सरकार के लिए यह बैठक खासी अहम थी।

कर्मचारियों के हित में कैबिनेट ने कई महत्‍वपूर्ण फैसले किए

कैबिनेट की बैठक की अध्‍यक्षता मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने की। बैठक में विभिन्न राज्य सरकारी कर्मचारी यूनियनों की प्रमुख मांग को स्वीकार करते हुए पंजाब सरकार ने सोमवार को न्यू पेंशन स्कीम में अपना हिस्सा बढ़ाने का निर्णय लिया। नई पेंशन स्‍कीम भारत सरकार के निर्णय के अनुरूप 1 अप्रैल, 2019 से लागू होगा।

कैबिनेट ने नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों के लिए राज्य के मासिक मिलान योगदान को मूल वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) के 10 से 14 फीसदी तक बढ़ाने का फैसला किया है। यह वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग, भारत सरकार द्वारा 31 जनवरी, 2019 को जारी अधिसूचना के अनुरूप है। सरकार ने 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रेच्युटी का लाभ देने पर भी सहमति जताई है।

एक अन्य फैसले में, मंत्रिमंडल ने 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के आश्रितों को एक्सग्रेशिया के लाभ को लागू करने की अनुमति देने के लिए वित्त विभाग के प्रस्ताव को वास्तविक रूप से मंजूरी दे दी।

बता दें, राज्य सरकार के कर्मचारियों की कुल संख्या 3,53,074 है। जिनमें से 1,52,646 न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत आते हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारियों के लिए मूल वेतन और डीए के जोड  का 10 फीसदी राज्य द्वारा योगदान के लिए वार्षिक व्यय 585 करोड़ रुपये था। वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान इसके 645 करोड़ रु होने की उम्मीद है।

यह कांग्रेस सरकार के करीब पौने तीन साल में पहली ऐसी कैबिनेट बैठक है जिसके बाद दोपहर के भोजन का भी इंतजाम किया गया है। माना जा रहा है कि कैप्टन की लंच डिप्लोमेसी में सरकारी एजेंडों में आर्थिक मुद्दे भी होंगे। करीब एक माह बाद पहली ऐसी बैठक है जिसमें धर्म के बाद सरकारी कामकाज पर चर्चा की जाएगी।

कैबिनेट की इस बैठक में एक दर्जन से ज्यादा एजेंडे हैैं। सबकी निगाहें इस पर लगी हुई हैैं कि आर्थिक संकट पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का क्या रुख रहेगा। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है कि भले ही केंद्र सरकार को जीएसटी का 4100 करोड़ रुपये राज्य सरकार को देना है, लेकिन सरकार के अपने राजस्व में भी भारी गिरावट आई है। महत्वपूर्ण यह है कि शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में भी गिरावट देखने को मिल रही है। इसके लिए विपक्ष सीधे राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है।

छुट्टियां मनाकर विदेश से लौटे मुख्यमंत्री के समक्ष 20 दिनों में राजनीतिक से लेकर आर्थिक मोर्चों पर खासा कुछ बदल चुका है। आशंका जताई जा रही है कि आर्थिक संकट के कारण सरकारी मुलाजिमों को इस माह वेतन देने में भी मशक्कत करनी पड़ सकती है। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल बेशक कह चुके हैं कि वेतन समय पर मिलेगा, लेकिन यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री आर्थिक मोर्चे को संभालने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

राजनीतिक रूप से भी कांग्रेस को खासा झटका लगा है। कांग्रेस के कई विधायक सरकार के खिलाफ हो गए हैं। मुख्यमंत्री कैबिनेट मंत्रियों के साथ इस पर भी चर्चा कर सकते हैं। इसीलिए कैबिनेट बैठक के बाद लंच का प्रबंध किया गया है। किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री अक्सर इस तरह की नीति का सहारा लेते रहे हैं।

बागी विधायकों को अभी तक कैप्टन ने गंभीरता से नहीं लिया

मुख्यमंत्री के गृह जिले पटियाला में चार कांग्रेस विधायक लगातार सरकारी कामकाज पर उंगली उठा रहे हैं। इस सबके बावजूद अभी तक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस ‘बगावत’ को कोई खास तवज्जो नहीं दी है। सरकार ने विधायकों की नाराजगी को दूर करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर जरूर कील-कांटे कसे हों लेकिन कैप्टन ने मोर्चा खोलने वाले विधायकों को शांत करने के लिए सीधे रूप से कमान अपने हाथ में नहीं ली है।

मुख्यमंत्री का कोई संदेश नहीं आया : निर्मल

मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव कैप्टन संदीप संधू ने जरूर विधायकों को बुलाकर उनकी नाराजगी दूर करने के प्रयास किए हों, लेकिन नाराज विधायकों ने उनके साथ बैठक करने से इन्‍कार कर दिया। इससे लगता है कि मामला बिना मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के निपटने वाला नहीं है। शुतराणा के विधायक निर्मल सिंह कहते हैं कि हमारी नाराजगी कोई व्यक्तिगत नहीं है। हमने अफसरशाही पर उंगली उठाई है। बतौर विधायक अफसरों के कामकाज पर नजर रखना उनका काम भी है। मुख्यमंत्री की तरफ से अभी तक कोई संदेश नहीं आया है। जब बुलाएंगे तो उनके सामने वास्तविक स्थिति रखी जाएगी।

अहम बात यह है कि चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में तीन सीटों पर शानदार जीत हासिल करके कांग्रेस ने भले ही दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया हो, लेकिन राजनीतिक रूप से उसकी चुनौती बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी के विधायक अमन अरोड़ा ने कहा है कि कांग्र्रेस के 40 विधायक उनके संपर्क में हैैं। वे हमारे साथ हैैं तो हम सरकार बना सकते हैैं।

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