पंजाब: कांग्रेस के विधायक और मंत्री लड़ना चाहते हैं एसजीपीसी चुनाव

पंजाब में कांग्रेस ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव लड़ने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पार्टी के मंत्री और विधायक चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस एसजीपीसी चुनाव में भी सीधे नहीं उतरेगी और न ही इन चुनावों में अपने पार्टी सिंबल का इस्तेमाल करेगी। लेकिन पार्टी के रुख से उत्साहित सूबे के कई कांग्रेसी विधायक और मंत्री एसजीपीसी चुनाव में उतरने का मन बना चुके हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं का यह तर्क है कि भले ही वे विधायक और मंत्री हैं लेकिन वे सिख भी हैं, जिन्हें अपने धर्म से जुड़ी संस्था के लिए सेवा करने का पूरा अधिकार है।पंजाब: कांग्रेस के विधायक और मंत्री लड़ना चाहते हैं एसजीपीसी चुनाव

कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा एसजीपीसी से बादल पिता-पुत्र को अलग-थलग करने की इच्छा व्यक्त किए जाने के बाद पंजाब कांग्रेस में सिख गुरुद्वारों की इस प्रशासकीय संस्था में वर्चस्व कायम करने का मनोरथ जोर पकड़ने लगा है। पंजाब के पूर्व मंत्री जत्थेदार इंद्रजीत सिंह जीरा, सूबे के सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा एसजीपीसी चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं। इन नेताओं का कहना है कि सिख होने के नाते वे एसजीपीसी चुनाव लड़ सकते हैं। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर विस्तृत रणनीति बनाकर चुनाव जीतने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

इसके तहत पार्टी ने एक तरफ तो योग्य उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है वहीं कांग्रेस के ही कई नेताओं ने पार्टी के समक्ष चुनाव लड़ने की इच्छा भी जता दी है। और तो और प्रदेश कांग्रेस की ओर से यह सारा मामला पार्टी आलाकमान के ध्यान में भी ला दिया गया है। फिलहाल उम्मीदवारी को लेकर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। ऐसे में पार्टी के मौजूदा विधायक और मंत्री एसजीपीसी चुनाव लड़ सकेंगे या नहीं, इसका फैसला आलाकमान पर निर्भर करेगा। वैसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पार्टी को पंजाब में हमेशा एसजीपीसी चुनाव से दूर रहने की सलाह दी है और वे अपनी इसी राय पर कायम हैं।

न लड़े तो गरमपंथियों को मिल सकता है मौका

कांग्रेस द्वारा एसजीपीसी चुनाव में रुचि दिखाने को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि जस्टिस रणजीत सिंह आयोग द्वारा बेअदबी मामलों में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर उंगली उठाए जाने के बाद आम लोगों के बीच अकाली दल की जो छवि उभरी है, उससे सिख समुदाय में भारी रोष है। बादल गुट का ही लंबे अरसे से एसजीपीसी पर कब्जा रहा है और उन्हीं पर धर्म के निरादर के आरोप भी लगे हैं।

इसे देखते हुए कांग्रेस एसजीपीसी में धर्म से जुड़े साफ सुथरी छवि वाले सिखों को लाना चाह रही हैं। पार्टी के नेताओं ने कहा कि कांग्रेस को इस बात की भी चिंता है कि सिख समुदाय अब अकाली दल को एसजीपीसी से बाहर करने की ठान चुका है, ऐसी स्थिति में अगर साफ सुथरी छवि वाले सिख चुनाव में नहीं उतरे तो खालिस्तान समर्थक और गरमपंथियों को इस सिख संस्था पर कब्जा करने का मौका मिल सकता है।

13 नवंबर को हो सकता है प्रधान का चुनाव
वीरवार को अमृतसर में भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल की अध्यक्षता में एसजीपीसी की बैठक संपन्न हुई। हालांकि बैठक की कार्रवाई के बारे में एसजीपीसी की ओर से कुछ भी जानकारी नहीं दी गई है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में एसजीपीसी के अगले प्रधान का चुनाव 13 नवंबर को किए जाने का फैसला लिया गया है।

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