नसीमुद्दीन सिद्दीकी की नई पार्टी ‘राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा’ ने मायावती को ऐसे दिया बहुत बड़ा झटका

नसीमुद्दीन सिद्दीकी की नई पार्टी ने मायावती को बड़ा झटका दिया है। राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा के गठन के बाद बहुजन समाज पार्टी से ताबड़तोड़ इस्तीफों की बारिश शुरू हो गई है। नसीमुद्दीन के गृह क्षेत्र बांदा और आसपास के जिलों से तमाम बसपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया और राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा की सदस्यता लेने की बात कही।

नसीमुद्दीन सिद्दीकी की नई पार्टी ‘राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा’ ने मायावती को ऐसे दिया बहुत बड़ा झटका

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निकाले गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने नई पार्टी का गठन किया है। उनकी पार्टी का नाम है राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा है। एक जमाने में नसीमुद्दीन सिद्दीकी बीएसपी का मुस्लिम चेहरा माने जाते थे। हाल ही में उन्हें पार्टी के जनरल सेक्रेटरी के पद से हटा दिया गया था। उनका आरोप था कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उनसे 50 करोड़ रुपये मांगे हैं।

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उन्होंने फोन पर रिकॉर्ड की गई बातचीत भी जारी की थी, जिसमें कथित रूप से मायावती पैसे मांगते हुए सुनी गई थीं। इस पर मायावती ने कहा था कि वह सदस्यता बनाने के लिए दिए गए पार्टी फंड को वापस मांग रही थीं। इस मुद्दे पर जब सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे पूछा था कि वह बीएसपी से अपने निष्काषित होने का क्या कारण मानते हैं तो उन्होंने कहा था, मैंने सब प्रेस कॉन्फ्रेंस में बता दिया था। मैं इस पर तब तक कुछ नहीं कहूंगा, जब तक मायावती कुछ नहीं करेंगी।

यहां हुआ ‘राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा’ गठन का स्वागत

बसपा से निष्कासित पूर्व मंत्री और मौजूदा एमएलसी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने समर्थकों की बैठक कर बांदा में ‘राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा’ के गठन की घोषणा की है। उनके इस निर्णय का चित्रकूटधाम मंडल में भी समर्थकों ने समर्थन किया है। शनिवार को लखनऊ में सिद्दीकी के आवास पर आयोजित बैठक में मोर्चे के नाम को अंतिम रूप दिया गया। इसमें सिद्दीकी को संयोजक बनाया गया है। 

बसपा के पूर्व जोनल कोआर्डिनेटर ब्रह्म स्वरूप सागर (बरेली) और पूर्व मंत्री ओपी सिंह (सुल्तानपुर) तथा आवास विकास यूपी के पूर्व चेयरमैन अच्छेलाल निषाद (बांदा) को सह संयोजक चुना गया है। मोर्चा गठन की खबर मिलते ही समर्थकों ने खुशी जताई। सिद्दीकी के आवास पर जुटे समर्थकों ने कहा कि जल्द ही बांदा में भी मोर्चा गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

 उधर, बसपा क्षत्रिय भाईचारा के धर्मेंद्र सिंह उर्फ डीसी, सफाई कर्मी नेता तिजोला वाल्मीकि, अधिवक्ता योगेशचंद्र श्रीवास्तव, बसपा बांदा विधान सभा क्षेत्र महासचिव विनय सिंह शानू, श्यामबाबू अवस्थी सहित लगभग एक सैकड़ा लोगों ने सिद्दीकी के निष्कासन के विरोध में बसपा से त्यागपत्र दे दिया है। 

मायावती ने मुसलमानों के लिए किया था अभद्र भाषा का प्रयोग

11 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिद्दीकी ने कहा था कि मायावती ने मुसलमानों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए  अपशब्द कहे थे। कहा था कि मुसलमानों ने हमारी पार्टी को वोट क्यों नहीं दिया। सिद्दीकी ने कहा था कि मुझपर झूठे इल्ज़ाम लगाकर पार्टी से निष्कासित किया गया।

मायावती ने जब मुझसे पैसों की मांग की थी तो मैंने उनसे कहा था कि अगर मैं अपनी जमीन बेच भी दूं, तो इतनी रकम नहीं मिलेगी। मैंने मायावती से यह भी कहा था कि मैं पार्टी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझ पर गलत आरोप लगाए गए।

इसके बाद सिद्दीकी ने कहा था कि जिस कांशीराव ने इस पार्टी की नींव रखी थी, मायावती ने उसी कांशीराव के बारे में भी बुरा बोला था। सिद्दीकी ने कहा था कि बहनजी आपको जिसने राजनीति सिखाई आप उनके बारे में बुरा कैसे बोल सकती हैं। इसके जवाब में बहनजी ने मुझसे कहा था कि मैं तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करूंगी। सिद्दीकी ने मायावती पर आरोप लगाया कि वह खुद पार्टी को खत्म करना चाहती हैं ताकि उनके अलावा कोई अन्य व्यक्ति बसपा का सुप्रीमो न बन सके।

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