नगरपालिका के जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों को नियम विरूद्द भूखंड आवंटन घोटाले का खुलासा…..

प्रदेश के टोंक जिले में इन दिनों अंधेर नगरी चौपट राज कहावत चरितार्थ हो रही है. पुलिस से लेकर प्रशासनिक अमले तक सिर्फ करप्शन और करप्शन ही तस्वीरें सामने आ रही है. कभी पुलिस पर आरोप लगते है कभी प्रशासन पर. अब ताजा मामला टोंक जिले की देवली नगरपालिका का सामने आया है, जिसमें फिर गड़बड़झाला उजागर हुआ है.

खबर के मुताबिक मामला आवंटित भूखंडों को हेरफेर कर बेचने का है. आरोप नगर पालिका में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों पर लगे है, जिसमें नगरपालिका के जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों को नियम विरूद्द भूखंड बेचनेमन खुलासा हुआ है. टोंक जिले का सरकारी सिस्टम सिर्फ अपनी मनमर्जी के अलावा कोई दूसरा काम कर नहीं रहा है, फिर कोई हेरफेर की बात हो या फिर हेरफेर कर चेहतों को लाभ देना हो. किसी भी महकमें में चले जाइये बस ऐसा ही नजारा आपकों देखने को मिलेगा.

ताजा मामला टोंक जिले की देवली नगरपालिका में सामने आया है, जहां पूर्व में आवंटित भूखंडों को नगर पालिका के कार्मिकों ने कागजों में हेरफेर कर पालिका के जनप्रतिनिधियों के चहेतों या फिर परिवारजनों को बेच दिया. पूरा मामला जब सामने आया तब पीड़ित लोगों ने देवली उपखंड अधिकारी से मामले की शिकायत की. दरअसल नगर पालिका देवली की ओर से पालिका कर्मचारियों को आवंटित किए भूखण्डों के मामले में गड़बड़ी की आरोप लगाते हुए कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों ने उपखण्ड अधिकारी अशोक कुमार त्यागी को लिखित शिकायत की है.

शिकायत में बताया कि नगर पालिका ने पिछले दिनों भूखण्ड आवंटन को लेकर कर्मचारियों से आवेदन मांगे. इनमें दो दर्जन कर्मचारियों ने भूखण्ड आवंटन के लिए आवेदन किया. जिनकी पालिका मण्डल ने जांच कर महज दो कर्मचारियों का भूखण्ड आवंटन प्रक्रिया के लिए पात्र माना है. ज्ञापन में बताया कि दोनों कर्मचारियों को गांधी कॉलोनी के भूखण्ड संख्या 42 व 43 आवंटित कर शाश्वत लीज जारी कर फरवरी माह में पट्टे दिए.

उधर, पट्टे जारी होने के बाद कर्मचारियों ने रियायती दर से चार गुणा अधिक राशि में अन्य व्यक्तियों को महज एक पखवाड़े के भीतर बेच दिए. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पालिका की गड़बड़ी का अंदेशा इस बात से लगाया जा सकता है कि कर्मचारियों ने आवेदन 1225 वगफीट के लिया किया, लेकिन नगर पालिका ने दरियादिली दिखाते हुए उन्हें 1800 वर्गफीट के भूखण्ड आवंटित किए.

आरोप लगाया कि दस वर्ष की अवधि से पूर्व कर्मचारियों ने जो भूखण्ड बेचे है, वे भूखण्ड पालिका में बैठे जनप्रतिनिधियों के रिश्तदारों को बेचे गए. ज्ञापन में भूखण्ड आवंटन की प्रक्रिया की जांच करवाने, समय से पहले भूखण्ड बेचने वाले दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने, खरीदने वाले लोगों की पड़ताल करने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई.

इधर शिकायत मिलने पर उपखंड अधिकारी अशोक त्यागी ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है. त्यागी ने कहा कि मामला बड़ी गम्भीर है. अगर कार्मिकों द्वारा दस्तावेजों में हेरफेर किया है तो गलत है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी..

ऐसा नहीं है कि देवली नगर पालिका में हेरफेर का पहला मामला सामने आया है. इससे पहले भी स्वच्छ भारत मिशन में लाखों का गड़बड़झाले करने के आरोप लग चुके है. लेकिन तब राजस्थान में भाजपा की सरकार होने के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. लेकिन लगता है अब पालिकाध्यक्ष और पालिका ईओ की मुश्किलें बढ़ने वाली है. उम्मीद तो यहीं है कि इस गड़बड़झाले की जांच होकर दोषियों पर कार्रवाई होगी.

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