धरने पर बैठे हजारों किसानों का अल्टीमेटम- मांगें न मानी तो दे देंगे जान, प्रशासन ने बंद कर दिया पानी

करीब दो हजार किसान धरने बैठे हैं। उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर मांगें न मानी गईं तो वे जान दें देंगे। वहीं प्रशासन ने उनका पानी बंद कर दिया। वे घर से कसम खाकर निकले हैं, सरकार मांगें मानती है तो ठीक नहीं तो प्रदर्शन करते हुए ही जान दे देंगे। बोल आए हैं कि इस बार वापस लौटने की उम्मीद कम है। चंडीगढ़ में सेक्टर-25 स्थित रैली ग्राउंड में पिछले तीन दिन से धरने पर बैठे किसान अपने निश्चय पर अटल हैं। पंजाब के लगभग हर जिले से करीब ढाई हजार किसान चंडीगढ़ पहुंचे हैं।धरने पर बैठे हजारों किसानों का अल्टीमेटम- मांगें न मानी तो दे देंगे जान, प्रशासन ने बंद कर दिया पानी

ये सभी अपने साथ टैक्टर-ट्रालियों में 6 महीने तक का राशन ले कर आए हैं। अगले कुछ महीनों तक अब चंडीगढ़ ही उनका डेरा है। बहुत सारे किसान चंडीगढ़ के बार्डर के आसपास बैठे हैं, उन्हें अंदर आने की इजाजत नहीं दी गई। किसानों की मांग है कि केंद्र में लोकपाल, राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति की जाए। किसानों का कहा है कि स्वामीनाथन आयोग के अनुसार उनकी फसल की लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य से हिसाब किया जाए और किसानों का पूर्ण कर्ज माफ किया जाए।

6 महीने का राशन लेकर पहुंचे हजारों किसान

हर किसान अपने साथ ट्रॉली में जरूरत का समान लेकर पहुंचा है। एक-एक किसान अपने साथ 2-3 क्विंटल आटा, चावल, दो-तीन तरह की दालें, प्यास, लहसुन, कुछ सब्जियां, तेल, मिल्क पाउडर, गद्दे, रजाई, बर्तन, कपड़े आदि सामान लेकर पहुंचा है। किसानों ने बताया कि उनके पास 6 महीने तक का राशन मौजूद है। दूध हर सुबह मोहाली के गांवों से किसान ही पहुंचा रहे हैं। किसी भी चीज की कमी नहीं है। सरकार के पास बहुत समय है, लेकिन इस बार वह मांगें मनवा कर ही जाएंगे।

नहीं मिल रही बिजली, ट्रैक्टर से कर रहे मोबाइल चार्ज

किसानों का कहना है कि प्रशासन ने उनको मिलने वाली बिजली-पानी का कनेक्शन काट दिया है। ट्रैक्टर की बैटरी से वह लाउडस्पीकर व मोबाइल चार्ज कर रहे हैं। पानी के टैंकर साथ लाए हैं। इस बार का प्रदर्शन यह शहर याद रखेगा। किसानों का कहना है कि इस बार वह आर-पार की लड़ाई लड़ने आए हैं। सरकार जब तक मांगें नहीं मानेगी, तब तक वह अपना धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे। गौरतलब है कि यह देशव्यापी आंदोलन भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) ने अन्ना हजारे के संगठन के साथ मिलकर 30 जनवरी को शुरू किया है, जोकि अनिश्चितकाल तक चलेगा। यूनियन अध्यक्ष जगजीत सिंह ढल्लेवाल और अन्ना हजारे टीम के सदस्य करनवीर मरनव्रत पर बैठे हैं। इन्होंने अब पानी भी त्याग दिया है।

ऐसे गुजर रहा किसानों का पूरा दिन
किसान ट्रॉलियों में पराली लेकर आए हैं, जिस पर चादर बिछा कर सोते हैं। कुछ किसानों के पास गद्दे भी हैं। सुबह की शुरुआत चाय के साथ होती है। मोहाली के कुछ किसान दूध पहुंचा जाते हैं। टॉयलेट के लिए ये किसान पास के जंगल का सहारा ले रहे हैं। हैरानी की बात है कि हजारों की संख्या में किसान धरने पर बैठे हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से टॉयलेट की भी उचित व्यवस्था नहीं की गई है। किसान खुले में शौच जाते हैं और खुले में ही नहाते हैं। दोपहर के समय सभी इकट्ठे होकर अपनी बात रखते हैं। किसान नेता बताते हैं कि आगे क्या करना है, कैसे करना है। खाना भी किसान खुद ही तैयार कर रहे हैं। शाम होते ही किसान भोजन करते हैं और फिर अपनी ट्रॉलियों में चले जाते हैं।
 
अन्ना हजारे ने राज्यपाल बदनौर को लिखा लेटर
बिजली-पानी का कनेक्शन काटने की खबर का समाज सेवी अन्ना हजारे ने भी संज्ञान लिया है। अन्ना हजारे ने शनिवार को चंडीगढ़ प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को एक पत्र लिखा है। उन्होंने चेताया है कि फौरी तौर पर अगर प्रशासन ने आंदोलनकारियों की समस्याओं का हल नहीं किया तो अन्ना हजारे भी पानी का त्याग कर देंगे। वहीं अब आंदोलन को समर्थन भी मिलने लगा है। शनिवार को बलदेव सिंह सिरसा अपने सैकड़ों साथियों के साथ अनशन में शामिल हुए। वहीं आंदोलन को तेज करते हुए 50 किसान और भूख हड़ताल पर बैठ गए।

अन्नदाता का दर्द

मैं बठिंडा जिला के अबलू कोटली गांव से आया हूं। 5 किल्ले जमीन है लेकिन 10 लाख का कर्ज है। पेट्रोल का दाम कहां से कहां पहुंच गया। नेताओं के भत्ते बढ़ गए लेकिन किसानों के लिए सब कुछ पहले जैसा ही है। हमें सभी अन्नदाता कहते हैं, फिर हमारे लिए कुछ करते क्यों नहीं? – अमरजीत सिंह, किसान

मैं बठिंडा के रामपुराफूल से आया हूं। हम चार भाई हैं, कुल 8 किल्ले जमीन है। लेकिन कर्ज 10 लाख तक पहुंच गया है। 75 साल की उम्र में भी घर से बाहर जाकर अपना हक मांगना पड़ रहा है। ठीक से चला भी नहीं जाता लेकिन ठंड में बाहर सोने को मजबूर हैं। क्या करें, सरकार हमारी सुनती ही नहीं। – अजैब सिंह, किसान

मैं संगरूर जिला के चट्ठा नहेड़ा गांव से आया हूं। मेरी साढ़े 4 किल्ले जमीन है, लेकिन कर्ज 5 लाख के करीब पहुंच गया है। कहां से लाएं इतना पैसा। जिस तेजी से महंगाई बढ़ी है, बाकियों के दाम बढ़े हैं हमारी कमाई उस हिसाब से नहीं बढ़ी। इसलिए आज हर किसान कर्जदार है। सरकार में बैठे लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। 

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