तीन राज्यों में चुनाव का ऐलान, आसान नहीं होगी BJP की जीत की राह

पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में विधानसभा के चुनाव फरवरी में होने हैं। चुनावी तारीख का ऐलान होने से पहले ही तीनों राज्यों में जोड़-तोड़ की राजनीति से लेकर आम जनता को लुभाने की कोशिश जारी है। वैसे इन तीनों राज्यों में दो चरणों में चुनाव होंगे जिसमें त्रिपुरा में 18 फरवरी को वोटिंग होगी जबकि मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग होनी है। 3 मार्च को इन तीनों राज्यों के नतीजे आएंगे। तीन राज्यों में चुनाव का ऐलान, आसान नहीं होगी BJP की जीत की राहतीन राज्यों में चुनाव का ऐलान, आसान नहीं होगी BJP की जीत की राह

बीजेपी अपने 18 राज्यों के आंकड़े को आगे बढ़ाने की जुगत से मैदान में उतरेगी वहीं कांग्रेस एकबार फिर से नाक बचाने की कोशिश करेगी। जबकि वामपंथ और क्षेत्रीय पार्टियां खुद का अस्तित्व बचाने में जुटेंगी।
  
चुनावी बिगुल बजने से पहले ही मेघालय में कांग्रेस के 5 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था वहीं बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का तीनों राज्यों में रैलियों का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं इन सभी राज्यों में दल-बदल की राजनीति भी तेज हो गई है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इन राज्यों में महिला वोटर अहम किरदार निभाएंगी। 

2011 जनगणना के मुताबिक मेघालय की आबादी 32 लाख है। जिसमें महिला मतदाताओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। राज्य में 50.4 प्रतिशत महिला मतदाता हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एफ आर खारकोंगर ने बताया था कि मतदाता सूची में 18,30,104 मतदाताओं के नाम हैं, जिनमें से 9,23,848 महिलाएं हैं। राज्य सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, 32 लाख की आबादी वाले मेघालय में साक्षरता की दर 74.4 प्रतिशत है।

पांच बार से लगातार बन रही कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार से कांटे की टक्कर मिलेगी

जबकि नागालैंड की जनसंख्या करीब 2 करोड़ से अधिक हैं। नगालैंड में फिलहाल नागालैंड पीपुल्स फ्रंट की सरकार है और मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग, उनकी पूरी सरकार और राज्य के कई नगा संगठन, नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) के इजाक-मुइवा (आई-एम) गुट के साथ जारी शांति प्रक्रिया का हवाला देकर यहां होने वाले विधानसभा चुनाव टलवाने की कोशिशों में जुटे थे।
 
त्रिपुरा में भी बीजेपी को पांच बार से लगातार बन रही कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार से कांटे की टक्कर मिलेगी। बता दें कि कम्युनिस्ट पार्टियों का गढ़ माने जाने वाली राज्य जैसे केरल और पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकारों के हारने के बाद त्रिपुरा में पिछले पांच बार से माणिक सरकार की सरकार है। माणिक सरकार ने 2013 के विधानसभा चुनावों में ईमानदारी को एक प्रमुख मुद्दा बनाया था और जीत के साथ वामपंथी पार्टियों का झंडा भी बुलंद रखा था।

नागालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को लोगों ने सत्ता की चाभी सौंपी थी वहीं दूसरी ओर दोनो ही राज्यों में खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।

फिलहाल 18 राज्यों में BJP की सरकार है और पीएम मोदी की नजर नॉर्थ ईस्ट पर है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने राज्य में धार्मिक और अध्यात्मिक गलियारा विकसित करने के लिए 70 करोड़ रुपए का टूरिज्म पैकेज की घोषणा कर चुके हैं वहीं पीएम मोदी भी नॉर्थ ईस्ट में रैलियां करने के लिए तैयार हैं। लेकिन नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के लिए बाजी जीतना थोड़ी टेढ़ी खीर साबित होगी। 

​हालांकि भारी विरोधों का सामना कर रही और अस्तित्व को बचाने में लगी कांग्रेस को एकबार फिर नाक बचाने का मौका मिला। बता दें कि पूर्वोत्तर के इन राज्यों में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से केवल दो सीटों से चूक गई थी। माणिक सरकार, नेइफु रियो और मुकुल संगमा अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव जीत गए हैं। त्रिपुरा में वाम मोर्चे को तीन चौथाई बहुमत मिला था और माणिक सरकार के गठबंधन ने राज्य की 60 में से 30 सीटें जीती थीं। 

मेघालय में बीजेपी को बाजी जीतना कठिन साबित होगा

वहीं मेघालय में बीजेपी को बाजी जीतना कठिन साबित होगा क्योंकि यहां 60 फीसदी आबादी ईसाई हैं और बीजेपी का हिंदुत्व कार्ड यहां नहीं चल सकेगा जबकि ईसाई बीफ भी खाते हैं।  इसलिए यहां के मतदाताओं को समझना बीजेपी के लिए कठिन साबित होगा। 

देश में बाकी जगहों पर लगातार हार के बाद कांग्रेस के लिए मेघालय की चुनावी जंग जीतना बहुत  कठिन रहने वाला है चूंकि बीते कई दशकों से कांग्रेस की सियासी मौजूदगी यहां मजबूत बनी हुई है सो कांग्रेस के लिए चुनावी बढ़त हासिल करने की गुंजाइश बनी हुई है। 

बीते 8 जनवरी को एनसीपी के विधायक मार्थन संगमा और चार अन्य स्वतंत्र उम्मीदवारों- ब्रिगेडी माराक, असाहेल डी शीरा, माइकल संगमा तथा डेविड नोनगुरुम ने एलान किया कि वे विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। कांग्रेस के लिए यह एक तरह से नुकसान की भरपाई का मामला है क्योंकि चंद रोज पहले पांच विधायक पार्टी छोड़कर एनपीपी में शामिल हो गये थे।

 एनपीपी बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल है।  पांच विधायकों के एनपीपी में शामिल होने से सूबे की विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 24 हो गई। इस वाकये के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मेघालय कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष डीडी लेपांग को हटाकर उनकी जगह सेलेस्टिन लिंग्दोह को कमान थमाई।  उन्होंने लिंग्दोह की देखरेख में पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति का भी गठन किया।

 
 
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