सपनों के पूरा न होने से व्यक्ति तनाव और अवसाद का शिकार: सचिव

बाराबंकी । विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आइये मिलकर आत्महत्या को रोकें थीम पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा रमेश चन्द्र की अध्यक्षता में एक गोष्ठी का आयोजन आरसीएच हॉल में किया गया। गोष्ठी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नंद कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह सात से 13 अक्टूबर तक जारी रहेगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि नन्द कुमार ने बताया कि भारत में आत्महत्या का अनुपात काफी ज्यादा है। रिश्ते टूटना, परिवार का टूटना, कामयाबी न मिलना और सपनों के पूरा न होने से व्यक्ति तनाव और अवसाद का शिकार होता है। यही आत्महत्या का कारण बनता है। इसमें परीक्षा में दबाव और पढ़ाई के दबाव को भी शामिल किया जा सकता है। उनका कहना है कि पढ़ाई के बाद परिवार की जिम्मेदारी आती है जिसका दबाव युवा झेलने में फेल हो जाते हैं। अवसाद अनुवांशिक भी होता है, आत्महत्या का एक यह भी कारण बनता है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2013 एवं मानसिक रोगों से सम्बन्धित व्यक्तियों के विधिक अधिकारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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सीएमओ ने बताया आत्महत्या को रोकने में सबसे बड़ी भूमिका परिवार की होती है। उन्हें चाहिए कि वह अपने घर के सदस्य के व्यवहार में हो रहे परिवर्तन को देखें कि वह किस तरह बात कर रहा है, उसकी दिनचर्या या खानपान में कोई बदलाव तो नहीं आया। आज के समय में मनुष्य की जीवनशैली बदल गयी, जिसका एक प्रभाव उसके शरीर के साथ दिमाग पर भी पड़ रहा है। मानसिक बीमारी तनाव से उपजती है। मानसिक तनाव हर किसी के जीवन में स्थाई रूप से अपने पैर पसार चुका है। उन्होंने जीवन को स्थिर रखने का महत्व एवं मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में विशेष ध्यान देने के लिए अपील की।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए नोडल अधिकारी डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया कि किशोरावस्था और वयस्कता के शुरुआती वर्ष जीवन का वह समय होता है, जब कई बदलाव होते हैं, उदाहरण के लिए स्कूल बदलना, घर छोडना तथा कॉलेज, विश्व्विद्यालय या नई नौकरी शुरू करना। यह तनाव मानसिक रोग उत्पन्न कर सकता है। ऐसे रोगी को मानसिक चिकित्सालय में ले जाकर मानसिक रोग विशेषज्ञ से यथाशीघ्र इलाज कराएं।

नोडल अधिकारी एवं मनोचिकित्सक डा सौरभ मिश्र ने छात्र-छात्राओं के पढ़ाई, परीक्षा और रिजल्ट का तनाव घेर रहा है। काउंसिलिंग के लिए पहुंच रहे युवाओं का कहना है कि उम्र निकल रही है, लेकिन नौकरी नहीं मिल रही है। इसके अलावा सेवानिवृत्त लोग भी अकेलेपन के तनाव में हैं।

यह है डिप्रेशन के लक्षण

ठीक से नींद न आना, कम भूख लगना, अपराध बोध होना, हर समय उदास रहना, आत्मविश्वास में कमी, थकान महसूस होना और सुस्ती, उत्तेजना, मादक पदार्थों का सेवन करना, एकाग्रता में कमी, खुदकुशी करने का ख्याल और किसी काम में दिलचस्पी न लेना जैसे लक्षण हैं।

इस तरह बचें तनाव से

पर्याप्त नींद लें, बीती बातों के विषय में अधिक न सोचें, मनपसंद संगीत सुनें, लिखने का शौक है तो जरूर लिखें, खानपान का ध्यान रखे और काम से छुट्टियां जरूर लें।

इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/ उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी ,बी0एस0ए0, अधीक्षक सा0स्वा0के0 अध्यापक ,अन्य जनपदीय स्तरीय अधिकारी,एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे ।

आंकड़ो के अनुसार-

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर डब्ल्यूएचओ की ओर से भारत को लेकर जारी आंकड़ों के अनुसार प्रति लाख 14.5 महिलाएं मौत को लगे लगा रहीं तो पुरुषों की संख्या 18.5 है। भारत में प्रति लाख आत्महत्या का आंकड़ा 16.3 है।

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