तो इसलिए जी-7 सम्मेलन में रूस-चीन इसका हिस्सा नहीं, जानें ऐसा क्यों…

G7 (ग्रुप ऑफ सेवन) का 45वां शिखर सम्मेलन फ्रांस के बियारित्‍ज में आयोजित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिट में हिस्‍सा लेने के लिए बियारित्‍ज पहुंच चुके हैं. सात विकसित देशों के इस समूह (G-7) की बैठक में भारत विशेष आमंत्रित सदस्य है. पीएम मोदी फ्रांस में 25 और 26 अगस्त को पर्यावरण, जलवायु, महासागरों और डिजिटल परिवर्तन के सत्रों में फ्रांसीसी राष्ट्रपति के आमंत्रण पर जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. वैसे भारत इस समूह का सदस्य नहीं है. G-7 दुनिया के सात अमीर देशों का समूह है जिसमें फ्रांस, जर्मनी, यूके, इटली, अमेरिका, कनाडा और जापान शामिल हैं.

क्या करता है ये समूह 

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जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं. समूह खुद को “कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज” यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत्‌ विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं. शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी. इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था. अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया.

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