जलियांवाला बाग कांड पर माफी मांग सकता है ब्रिटेन: ब्रिटिश सरकार

दुनिया के सबसे जघन्य नरसंहारों में से एक माने जाने वाले जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल बाद आखिरकार ब्रिटिश सरकार ने इशारा किया है कि वह इसके लिए माफी मांग सकती है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई इस हत्याकांड के शताब्दी वर्ष के सिलसिले में मंगलवार शाम को हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ब्रिटिश संसद) में हुई बहस के दौरान एक मंत्री ने सदन से कहा कि ब्रिटिश सरकार औपचारिक माफी की मांग पर विचार कर रही है।जलियांवाला बाग कांड पर माफी मांग सकता है ब्रिटेन: ब्रिटिश सरकार

हाउस ऑफ लॉर्ड्स के निचले सदन में ‘अमृतसर नरसंहार: शताब्दी’ के नाम से चल रही चर्चा के दौरान ब्रिटिश मंत्री एनाबेल गोल्डी ने यह भी कहा कि सरकार ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के 100 साल पूरे होने के मौके को यथोचित व सम्मानित तरीके से याद किए जाने की योजना बनाई है। सरकारी व्हिप एवं बैरोनेस-इन वेटिंग पद संभाल रहीं गोल्डी ने कहा, जहां तक हम जानते हैं कि तत्कालीन सरकार (हत्याकांड के समय की ब्रिटिश सरकार) ने लगातार इस नृशंसता की निंदा की थी, लेकिन इसके बाद किसी भी सरकार ने इसके लिए माफी नहीं मांगी।

सदन में हो रही चर्चा में कई सदस्यों की तरफ से विचार पेश किए जाने के बाद गोल्डी सबसे आखिर में बोल रही थीं। उन्होंने कहा, मैं समझती हूं कि इसका कारण सरकारों की यह सोच थी कि इतिहास दोबारा नहीं लिखा जा सकता। यह अहम है कि हम बीती बातों के जाल में नहीं फंस सकते।

ब्रिटिश विदेश सचिव के मौखिक बयान को दोहराया
गोल्डी ने ब्रिटिश विदेश सचिव जेरेमी हंट की तरफ से पिछले साल अक्तूबर में संसद की विदेश मामलों की समिति के सामने जलियांवाला बाग कांड को लेकर दिए गए मौखिक साक्ष्य का भी हवाला दिया। हंट ने समिति को मौखिक तौर पर इस घटना का ब्योरा देते हुए शताब्दी वर्ष को औपचारिक माफी मांगने के लिए सही समय बताया था। गोल्डी ने कहा कि सदन में हुई इस चर्चा में सामने आए विचार निश्चित तौर पर विदेश विभाग तक पहुंचाए जाएंगे।

भारतवंशी सांसदों ने पेश की थी चर्चा
जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर लॉर्ड्स में चर्चा का दौर भारतीय मूल के सांसदों राज लूंबा और मेघनाद देसाई ने शुरू की थी। इन दोनों ने कहा था कि अप्रैल, 2019 में इस नरसंहार की शताब्दी अपनी गलतियों को सुधारने और औपचारिक माफी मांगने का सही समय है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे को माफी मांगने के लिए पत्र लिखने वाले लूंबा और देसाई जलियांवाला बाग शताब्दी सालगिरह समिति के सदस्य हैं।

लूंबा ने सदन में कहा कि सरकार के इस कदम की ब्रिटेन में रहने वाले लाखों दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के साथ ही भारतीयों के बीच भी प्रशंसा की जाएगी। देसाई ने बहस के दौरान इस बात की तरफ ध्यान दिलाया कि किस तरह नरसंहार के समय की ब्रिटिश संसद जनरल डायर के अमृतसर में उठाए गए कदम की निंदा करने में चूक गई थी। सदन के सदस्य के तौर पर मशहूर ब्रिटिश उद्योगपति लॉर्ड बिलिमोरिया ने भी ‘हत्या’ के लिए औपचारिक सरकारी माफी मांगे जाने की मांग की, जबकि अमृतसर में ही जन्मी महिला उद्योगपति सेंडी वर्मा ने घटनास्थल से अपने निजी जुड़ाव का हवाला देते हुए इस घटना को ब्रिटिश इतिहास पर काला धब्बा करार दिया।

क्या था जलियांवाला बांग नरसंहार?
अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को महात्मा गांधी की तरफ से देश में चल रहे असहयोग आंदोलन के समर्थन में हजारों लोग एकत्र हुए थे। जनरल डायर ने इस बाग के मुख्य द्वार को अपने सैनिकों और हथियारंबद वाहनों से रोककर निहत्थी भीड़ पर बिना किसी चेतावनी के 10 मिनट तक गोलियों की बरसात कराई थीं। इस घटना में तकरीबन 1000 लोगों की मौत हो गई थीं, जबकि 1500 से ज्यादा घायल हुए थे।

Back to top button