चुनाव से पहले महागठबंधन ने भरी हुंकार, मंच पर साथ आयी 13 क्षेत्रीय पार्टियां

नई दिल्ली। गठबंधन की सरकार बनने का सिलसिला प्रचंड बहुमत पाकर मोदी सरकार ने तोड़ी मगर देश में गठबंधन सरकार की राजनीति दशकों पुरानी है। 42 साल में देश में 5 बड़े गठबंधन हुए मगर सिर्फ दो ही 5 साल सरकार चलाने में कामयाब हो सके है। सत्तर के दशक में शुरू हुई गठबंधन की राजनीति 1999 तक अपना जादू नहीं दिखा पाई। इस दौरान चार बड़े गठबंधन हुए मगर कोई भी पांच साल तक सरकार चलाने में कामयाब नहीं हो सका। भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने दो बार और कांग्रेस कि अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने 2004 से 2014 तक सरकार चलाई।
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आम चुनाव से पहले ही महागठबंधन ने हुंकार भर दी है। महागठबंधन के मंच पर 22 पार्टियों के नेताओं का साथ आना अपने आप में ऐतिहासिक है। इनमें 90 फीसदी क्षेत्रीय दल है, जो अपने- अपने राज्य में खास प्रभाव रखते हैं।
मंच पर 11 राज्यों के 13 क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी थी, जिनके राज्यों से 343 लोकसभा सीटें आती हैं। तेरह में से 11 क्षेत्रीय दल 10 राज्यों में सरकार तक बना चुके हैं। ब्रिगेड परेड मैदान में संयुक्त भारत नाम की इस रैली में आठ पूर्व और चार वर्तमान मुख्यमंत्री मौजूद रहे। ऐसे में इन सभी पार्टियों का साथ आना भाजपा के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकता है। इस मैदान में जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, वीपी सिंह भी रैली कर चुके हैं।
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कोलकाता की इस रैली में 22 में से 20 पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौजूद रहे। इनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, यूपी से सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राजद नेता तेजस्वी यादव, तमिलनाडु से डीएमके नेता एमके स्टालिन, यूपी से आरएलडी अध्यक्ष अजीत सिंह, महाराष्ट्र से पूर्व मुख्यमंत्री एनसीपी प्रमुख शरद पवार, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, झारखंड से पूर्व मुख्यमंत्री व झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन, असम से एआईडीयूएफ के प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग, आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला आदि भी शामिल हुए।

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