तो इसलिए चीनी सेना ने अपने ही ‘10,000 लोगों’ को उतारा मौत के घाट, वजह जानकर पूरी दुनिया हैरान

हॉन्गकॉन्ग में अधिक स्वायत्तता की मांग को लेकर चीन विरोधी प्रदर्शन तेज हो गए हैं, दूसरी तरफ चीन ने भी लाखों की संख्या में जुटने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं. कार्रवाई के लिए चीन की मिलिट्री के भी तैयार रहने की खबरें आई हैं. वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि चीन अगर हॉन्गकॉन्ग में तियानमेन स्क्वॉयर की तरह कार्रवाई करता है तो इससे व्यापार वार्ता में मुश्किल आ सकती है. आइए जानते हैं, क्या था तियानमेन स्क्वॉयर पर मिलिट्री कार्रवाई का मामला. इस कार्रवाई में हजारों आम लोगों की जान चली गई थी.

15 अप्रैल 1989 को पूर्व कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख और सुधारवादी नेता हू याओबेंग का निधन हो गया. शोक मनाने के लिए लोग बीजिंग के तियानमेन स्क्वॉयर पर जुटने लगे. साथ में चीन में राजनीतिक सुधार की रफ्तार बढ़ाने और अधिक आजादी की मांग भी उठने लगी. कुछ ही दिनों में 10 लाख से अधिक चीनी छात्र और वर्कर्स बीजिंग के तियानमेन स्क्वॉयर पर जमा हो गए.

लोगों का विरोध कम्युनिस्ट चीन के इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक प्रदर्शन बन गया. 6 हफ्ते तक चले प्रदर्शन के बाद 3-4 जून 1989 की रात 1 बजे मिलिट्री बीजिंग के केंद्र में स्थित तियानमेन स्क्वॉयर पर पहुंच गई. मिलिट्री ने प्रदर्शनकारियों पर टैंक और अन्य हथियारों के साथ हमला किया. अगले पूरे दिन लोगों पर गोलीबारी होती रही.

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2017 में एक सीक्रेट ब्रिटिश दस्तावेज से खुलासा हुआ कि नरसंहार में करीब 10 हजार लोग मारे गए. हालांकि, अन्य रिपोर्टों में मृतकों की अनुमानित संख्या 3 हजार तक ही बताई जाती थी. घटना के वक्त चीन में ब्रिटिश अंबेसडर रहे सर एलन डोनाल्ड ने नरंसहार के 24 घंटे के बाद रिपोर्ट तैयार की थी. इसमें उन्होंने सरकारी सूत्रों के आधार पर आंकड़े लिखे थे. वहीं, चीन ने आधिकारिक रूप से तियानमेन स्क्वॉयर नरसंहार में हुई मौत का आंकड़ा कभी जारी नहीं किया. 

चीनी मिलिट्री की कार्रवाई से पहले अमेरिकी टीवी चैनल्स को देश में बैन कर दिया था. पत्रकारों के सैनिक कार्रवाई या प्रदर्शन की फोटो खींचने पर रोक लगा दी गई. मिलिट्री कार्रवाई के दौरान हजारों लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. कई दर्जन लोगों को बाद में प्रदर्शन के लिए फांसी की सजा भी सुनाई गई. 

 

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