भारत-पाकिस्तान मैच में जब भारतीय बल्लेबाज चौके मारते है तो उस वक्त सीमा पर गोलियां क्यों बरसाता है पाकिस्तान!

यह महज इत्तेफाक तो कतई नहीं है कि इंग्लैंड के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में चल रहे क्रिकेट विश्व कप के भारत-पाकिस्तान मैच में जब भारतीय बल्लेबाज चौके मार रहे थे तो उस वक्त पाक सेना युद्ध विराम उल्लंघन कर गोलियां बरसा रही थी। जब मैच खत्म हुआ तो पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर पुंछ की कृष्णा घाटी, राजौरी और खेमकरण सेक्टर में मोर्टार से गोले दागे गए। 15 फरवरी 2015 को विश्व कप के मैच में जब पाकिस्तान हारा तो भी सीमा पार से नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की गई। 

इससे पहले 30 मार्च 2011 को विश्व कप में ही भारत के हाथों पिटने पर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के कई सेक्टरों में भारी गोलीबारी की थी। हालांकि नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम उल्लंघन पाकिस्तान के लिए नई बात नहीं है, लेकिन जब कभी क्रिकेट मैच में भारत के हाथों पाकिस्तान हारता है तो वह एलओसी पर जरुर गोलीबारी करता है। विश्व कप का मैच हारने के बाद पाकिस्तान की ओर से रविवार शाम को पुंछ जिले में मोर्टार दागकर सीज फायर का उल्लंघन किया गया। 

कृष्णा घाटी में रात दो बजे तक सीमा पार से गोलीबारी होती रही। यहां तक कि भारतीय सीमा में रह रहे स्थानीय नागरिकों के रिहायशी स्थलों को भी निशाना बनाया गया। अधिकारियों का कहना है कि ये तो क्रिकेट विश्व कप का मैच था, भारत-पाक की टीमों के बीच कोई दूसरा मुकाबला हो और उसमें पाकिस्तान हार जाए तो भी सीमा पार से जम्मू-कश्मीर में गोले गिराए जाते हैं। ये हमारी समझ में भी नहीं आता है कि पाकिस्तान ऐसा क्यों करता है। बीएसएफ के जम्मू सेक्टर में तैनात एक अधिकारी जो कि कमांडेंट रैंक पर हैं, बताते हैं कि मैच के बाद नियंत्रण रेखा पर फायरिंग कर पाकिस्तान अपनी हार की खीझ निकालता है। वह हमेशा ऐसा करता आया है। 

मान लीजिये, भारत-पाक के बीच मैच है। पाकिस्तान पहले बल्लेबाजी कर रहा है और वह एक सम्मानजनक स्कोर की बढ़ रहा है तो गोलीबारी नहीं होती। इसके बाद जब भारत की बल्लेबाजी आती है और चौके-छक्के लगने लगते हैं तो आरएस पुरा, खेमकरण सेक्टर, पुंछ, कुपवाड़ा, नीलम घाटी, नौशेरा और अखनूर के केरी बत्तल आदि स्थानों पर पाकिस्तान युद्ध विराम उल्लंघन करता है। कई बार तो मोर्टार से सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय सेना और बीएसएफ भी जवाबी कार्रवाई करती है। कई मौकों पर तो यह कार्रवाई ऐसी होती है कि पाक सेना और रेंजर्स को दो-तीन किलोमीटर पीछे भागना पड़ता है। 

पाकिस्तान की ओर से युद्ध विराम उल्लंघन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं

यह बात सही है कि भारत सरकार की ओर से आतंकी घटनाओं को लेकर पाकिस्तान को हमेशा करारा जवाब दिया जाता रहा है। दूसरी ओर इसे भी गलत नहीं कहा जा सकता कि पाकिस्तान युद्ध विराम नीति का उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहा है। 

साल       नियंत्रण रेखा       अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर    कुल मामले       
2015           152                         253                405 
2016           228                         221                449 
2017           860                         111                 971  
2018          2936                        600               3536

नोट: इसके अलावा पिछले साल जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर घुसपैठ के 340 प्रयास हुए हैं। साल 2018 में सीमा पार से हुई फायरिंग या गोलाबारी के चलते 61 लोग मारे गए थे और करीब 260 लोग घायल हो गए। इस साल युद्ध विराम नीति के उल्लंघन की बात करें तो अभी तक इसकी संख्या 700 के पार जा चुकी है। 

बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पांच सौ से अधिक बार युद्ध विराम नीति का उल्लंघन किया गया है। इस साल भी नियंत्रण रेखा पर हुई गोलाबारी में 12 लोग मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हुए हैं। 

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