खून से लथपथ तड़प रहा था जुनैद, हिंदू महिला ने अपने दुप्पटे से की उसकी मदद…

दिल्ली से मथुरा जा रही ईएमयू में सीट के विवाद में जब मुस्लिम युवक जुनैद की चाकुओं से गोदकर हत्या की जा रही थी, तो ट्रेन के बाकी यात्री तमाशबीन बने खड़े थे। किसी ने भी जुनैद को बचाने की कोशिश नहीं की। आरोपियों जुनैद को असावटी स्टेशन पर उतारकर फरार हो गए थे। भीड़ में मौजूद हिंदू महिला मीना ने जुनैद की मदद की थी। मीना ने जिस दुपट्टे से अपने बच्चे को ढका हुआ था उससे जुनैद के जख्म में बांध दिया और खून को बहने से रोकने की कोशिश की थी। 

खून से लथपथ तड़प रहा था जुनैद, हिंदू महिला ने अपने दुप्पटे से की उसकी मदद...

मृतक के भाई हासिम ने बताया कि एक हमलावर ने तो जुनैद के प्राइवेट पार्ट को भी लहू-लुहान कर दिया था। उनके डिब्बे में एक नहीं, बल्कि 100 से 150 लोग मौजूद थे। जब झगड़ा हो रहा था, तो किसी भी व्यक्ति ने बीच-बचाव नहीं किया। कुछ लोग तो हमलावरों को उकसा रहे थे। 

मृतक के भाई ने आगे बताया, ‘बल्लभगढ़ स्टेशन निकलने के बाद करीब 15 मिनट हमलावरों ने उन्हें जमकर पीटा। चाकू और पंच से ताबड़तोड़ हमले किए। असावटी रेलवे स्टेशन पर हमलावरों ने जुनैद सहित हम तीनों भाइयों को घायल कर असावटी स्टेशन पर उतार कर फरार हो गए। हम तीनों भाई स्टेशन पर तड़पते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। एक महिला यात्री ने मदद का हाथ बढ़ाया और अपना दुपट्टे से जुनैद के घायल हिस्से से बहते खून को रोकने की कोशिश की। हालांकि, मदद काम नहीं आई और जुनैद जिंदगी से हार गया।

पड़ोसी जमील खान ने बताया कि जुनैद काबिल लड़का था। उसने 13 साल की उम्र में कलाम पाक को हीफज (जुबानी रटना) कर लिया था। ईद के दौरान वह 500 नमाजियों को तरावी पढ़ाता था। जिसके बदले में नमाजियों ने हदिया (उपहार) के रूप में 20 हजार रुपये दिए थे। इन्हीं 20 रुपयों को लेकर वह सदर बाजार ईद की खरीदारी करने के लिए गया था। जहां उसने ईद के लिए नए कपड़े, घड़ी, नया पेन, मिठाई, किताबें खरीदी थी। 

यह भी पढ़ें: देशभर में खुलेंगे 100 जीएसटी क्लीनिक, हर तरह की टैक्स समस्या का होगा…

पेशे से चालक जुनैद के पिता जलालुद्दीन ने बताया कि उनका बेटा नूंह (मेवात) स्थित मदरसे में पढ़ाई कर रहा था। जब वह पांच साल का था, तभी उसे मदरसे में दाखिल करा दिया था। वह कभी-कभी गांव आता था। वे ही नूंह जाकर मदरसे में खर्चा जमा करा देते थे। ईद मनाने के लिए 22 जून को वह घर आया था।

Back to top button