कैसे पूरा होगा पीएम मोदी का ‘भारत जोड़ो’ सपना, कर्नाटक ने ऊंची की अपनी आवाज

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक नया नारा दिया ‘भारत जोड़ो’. इस नारे के पीछे प्रधानमंत्री की मंशा देश में जाति, धर्म और भाषा के नाम पर फैली वैमनस्यता पर रोक लगाने की है. उनको उम्मीद है कि देशवासियों पर इसका असर होगा और हालात सुधरेंगे. लेकिन कर्नाटक के ताजा हालात प्रधानमंत्री मोदी के मंसूबों पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं.

कैसे पूरा होगा पीएम मोदी का 'भारत जोड़ो' सपना, कर्नाटक ने ऊंची की अपनी आवाज

हम हिन्दी लागू नहीं करेंगे: सिद्धारमैया

स्वतंत्रता दिवस के ही अपने भाषण में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि कन्नड़ हमारी राज्य की भाषा है, हम हिंदी को लागू नहीं करेंगे. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि स्थानीय राज्य भाषा के अलावा किसी भी भाषा को लागू करना असंवैधानिक है.

तेज हो रहा है विवाद

कर्नाटक में हिन्दी और कन्नड़ का विवाद तेज होता जा रहा है. कुछ दिन पहले जहां बेंगलुरु में हिन्दी के साइन बोर्ड हटाए गए थे वहीं बुधवार को कुछ तमिल भाषा के पोस्टर फाड़ने की खबर आई है. आपको याद दिला दें कि जुलाई में कर्नाटक रक्षणा वैदिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने हिन्दी में लगे साइन बोर्ड को या तो हटा दिया था या फिर काले रंग से पोत दिया था.

एप्पल को लिखी चिट्ठी

कन्नड़ विकास प्राधिकरण (केडीए) ने एप्पल के सीईओ टिम कुक को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें एप्पल के उत्पादों में कर्नाटक में बनाए गए कन्नड़ फॉन्ट के इस्तेमाल करने की विनती की गई है. आपको यह भी बता दें कि कन्नड़ भाषा को लेकर चले एक कैंपेन के बाद ही इसी साल जून में भारत में बने एप्पल उत्पादों में कन्नड़ कीबोर्ड का विकल्प जोड़ा था.

6 महीने में सीखनी होगी कन्नड़

मेट्रो स्टेशन पर लगे हिन्दी में लगे बोर्ड हटवाने के बाद केडीए ने बैंककर्मियों को 6 महीने के भीतर कन्नड़ सीखने का आदेश दिया है. राज्य के स्कूलों से भी कन्नड़ को सेकेंड लैंग्वेज के आधार पर पढ़ाने और सिखाने की गुजारिश की है.

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उठी थी अलग झंडे की मांग

पिछले महीने कर्नाटक ने अपने क्षेत्रीय झंडे की मांग भी उठाई थी. देश में इस खबर का जमकर विरोध हुआ था, बीजेपी ने कहा था कि राज्य का अलग झंडा होना देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है. दरअसल, राज्य सरकार ने 9 सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी, जिसे झंडा डिजाइन करने और सिंबल तय करने का जिम्मा दिया गया था. आपको बता दें कि भारत में जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय किसी अन्य राज्य के पास अपना झंडा नहीं है. जम्मू-कश्मीर के पास धारा 370 के तहत अपना अलग झंडा है.

असली वजह है चुनाव

दरअसल भाषाई आधार पर बनाए गए कर्नाटक राज्य में भाषा की यह लड़ाई अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की जमीन तैयार करने की कोशिश भर है. क्योंकि अगर देश का संविधान अनुच्छेद 350 (क) के तहत राज्य को अपनी मातृभाषा को समृद्ध करने का अधिकार देता है तो उसी संविधान के भीतर अनुच्छेद 351 में प्रांतीय भाषाओं की मदद से हिन्दी भाषा के संवर्धन की बात भी कही गई है.

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