कैग की रिपोर्ट में खुलासा, हथियार और वाहनों की कमी से जूझ रहा पुलिस महकमा
मुंबई. महाराष्ट्र पुलिस के केंद्रीय आधुनिकीकरण योजना के तहत साल 2011 से 2016 के बीच मिली राशि में से सिर्फ 38 फीसदी ही राज्य सरकार खर्च कर सकी है। इसके चलते राज्य सरकार को 265 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम से हाथ धोना पड़ा। यह हैरान करने वाला खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। साथ ही यह भी पता चला है कि पुलिस महकमा हथियारों, वाहनों और दूसरे साजोसामान की भारी कमी से जूझ रहा है।
कानून व्यवस्था के लिए रकम कम न पड़े इसलिए केंद्र सरकार पुलिस आधुनिकीकरण के लिए राज्य सरकार को पैसे देती है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2016 के बीच केंद्र से 265 करोड़ 38 लाख रुपए सिर्फ इसलिए नहीं मिले क्योंकि पहले दी गई रकम खर्च करने में राज्य सरकार असफल रही।
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49 फीसदी कम है दुपहिया वाहन
पुलिसवालों को घटनास्थल पर जल्द पहुंचने के लिए वाहनों की आवश्यकता होती है। साल 2011 से 2016 के बीच सिर्फ 662 गाड़ियां खरीदी गईं। पुलिस महकमे में 1564 मोटरसाइकलों की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के पास भारी वाहनों की छह फीसदी जबकि मध्यम क्षमता और मोटरसाइकलों की 49 फीसदी कमी है। हालांकि पुलिस के पास हल्के वाहन जरूरत से 277 ज्यादा हैं।
मांग के अनुपात में कम मिलते हैं हथियार
पुलिस वालों के पास हथियारों की भी 45 फीसदी कमी है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र पुलिस के पास जरूरत से 65 हजार 26 आधुनिक हथियार कम है। इन्हें खरीदने का खर्च नौ करोड़ 60 लाख रुपए है। इसके अलावा बुलेटप्रूफ जैकेट, नाइट विजन दुरबीन, बम डिस्पोजेबल सूट, पोर्टेबल एक्सरे यंत्र जैसे 28 करोड़ 76 लाख के सामान सितंबर 2016 तक नहीं खरीदे गए थे। पुलिस महकमा तकनीकी कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रहा है जिसके चलते इस साल जनवरी तक 34 हजार 171 यानी लगभग 18 फीसदी नमूनों की जांच नहीं हो सकी है।
पुलिस वालों के पास हथियारों की भी 45 फीसदी कमी है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र पुलिस के पास जरूरत से 65 हजार 26 आधुनिक हथियार कम है। इन्हें खरीदने का खर्च नौ करोड़ 60 लाख रुपए है। इसके अलावा बुलेटप्रूफ जैकेट, नाइट विजन दुरबीन, बम डिस्पोजेबल सूट, पोर्टेबल एक्सरे यंत्र जैसे 28 करोड़ 76 लाख के सामान सितंबर 2016 तक नहीं खरीदे गए थे। पुलिस महकमा तकनीकी कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रहा है जिसके चलते इस साल जनवरी तक 34 हजार 171 यानी लगभग 18 फीसदी नमूनों की जांच नहीं हो सकी है।
कैग रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी हमलों, नक्सली हमलों, दंगे और आंदोलनों के चलते पैदा होने वाली परिस्थितियों से निपटने से जुड़े साजो सामान खरीदने के लिए केंद्र से 42 करोड़ 91 लाख रुपए मिले थे लेकिन राज्य सरकार इसमें से सिर्फ चार करोड़ 96 लाख रुपए ही खर्च कर सकी यानी 37 करोड़ 95 लाख रुपए खर्च ही नहीं हुए। इसके अलावा पिछले पांच सालों में मिले 491 करोड़ 96 लाख रुपए में से 289 करोड़ 46 लाख रुपए पुलिसवालों के घर बनाने के लिए इस्तेमाल होने थे लेकिन इसमें से सिर्फ 83 करोड़ 70 लाख रुपए खर्च हो सके।
अपराध 26 फीसदी बढ़े
कैग ने निधि का सही इस्तेमाल न किए जाने और इस दौरान राज्य में बढ़े अपराध को लेकर भी राज्य सरकार की खिंचाई की है। महाराष्ट्र सीआईडी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 की तुलना में 2015 में दुष्कर्म, बच्चों के अपहरण, डकैती, महिलाओं पर अत्याचार जैसे मामले 186 फीसदी बढ़े। कैग के मुताबिक अगर निधि का सही इस्तेमाल किया गया होता तो अपराध पर रोक लगाई जा सकती थी। कैग ने विकास प्रारूप समय पर तैयार करने और व्यवस्थापन पर जोर देने की सिफारिश की है जिससे पैसे न खर्च होने की परेशानी से बचा जा सकेगा।