कांग्रेस ने खुद दिया जवाब, क्‍या सरकार बनते ही खत्‍म हो जाएगा नागरिकता कानून?

नई दिल्ली। क्या सत्ता में आते ही कांग्रेस खत्म कर देगी नागरिकता कानून? इस सवाल पर कांग्रेस के नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने एक झटके में जवाब दिया है कि हां बिलकुल खत्म करे देगी। हालांकि इसके लिए सबसे बड़ी हकीकत यह है कि इसके लिए कांग्रेस को संसद में बीजेपी की तरह ही बहुमत जुटाना पड़ेगा।

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वहीं यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध के लिए कांग्रेस ने एक बड़ा रिस्क भी उठाया है। साल 2014 में हुई हार की पड़ताल के लिए गठित एके एंटोनी समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि पार्टी की हार के पीछे उसकी अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण वाली छवि भी रही है।

इस रिपोर्ट को ही ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान जनेऊ तक धारण कर लिया था। लेकिन कांग्रेस का नरम हिंदुत्व की ओर झुकाव ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुआ। ऐसा लग रहा है कि पार्टी अब बजाए के बीजेपी के ‘राष्ट्रवाद और हिंदुत्व’ के मुद्दों पर उलझने के बजाए, बेरोजगारी, महंगाई, देश के आर्थिक हालात और आम जनता से जुड़े मुद्दों पर फोकस कर रही है क्योंकि लोकसभा 2019 के चुनाव में पीएम मोदी की उज्जवला, गैस कनेक्शन, शौचालय और आवास योजनाओं ने भी बीजेपी को काफी फायदा था जबकि दूसरी ओर कांग्रेस बालाकोट, राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उलझ कर रह गई थी।

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कांग्रेस की अब पूरी रणनीति है कि एक ओर नागरिकता कानून, एनआरसी को लेकर अल्पसंख्यकों में उपजे गुस्से और मोदी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी को  लहर जितना भड़काया जाए उसके लिए फायदेमंद साबित होगा। इस रणनीति की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव होंगे जहां पर प्रियंका गांधी ने एक तरह से ‘गोरिल्ला युद्ध’ शुरू कर दिया है।

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बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून, राष्ट्रीय नागरिक पंजी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर-2020 का खुलकर विरोध कर रही कांग्रेस जल्द ही इन मुद्दों के साथ विश्वविद्यालय परिसरों में छात्रों पर हमले, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, कृषि संकट और महिला सुरक्षा जैसे जनहित के मुद्दों को लेकर व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएगी और नरेन्द्र मोदी सरकार को घेरेगी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक शनिवार को हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह कहा गया कि मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच जाएं और इन मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों को बेनकाब करें।

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पार्टी के सभी फ्रंटल संगठन, विभाग और प्रदेश कांग्रेस कमेटियां अलग अलग कार्यक्रमों के आधार पर जनता से संपर्क करेंगी और इन मुद्दों को उठाएंगी। सूत्रों का कहना है कि 13 जनवरी को समान विचारधारा वाली पार्टियों की बैठक में भी इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी और मोदी सरकार को संसद के आगामी बजट सत्र के दौरान और सड़क पर भी घेरने के लिए इन दलों को साथ लेने की कोशिश होगी। विपक्षी दलों की इस बैठक के बाद कांग्रेस इस जनसंपर्क अभियान की पूरी रूपरेखा पेश कर सकती है।

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