कश्मीर पर तेवर दिखाने वाले मलेशिया का अचानक हुआ ये हाल…

कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की आलोचना करने के बाद अब मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद का रुख नरम पड़ता नजर आ रहा है.

रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत मलेशिया से पाम ऑयल की खरीददारी पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है. मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर ने बुधवार को कहा, अगर भारत सरकार बहिष्कार या इस तरह का कोई अन्य कदम उठाती है तो हम कूटनीतिक तरीके से हल निकालने की कोशिश करेंगे. महातिर ने आगे कहा, यह भारतीय व्यापारियों का निजी निर्णय है, इसीलिए हम इस पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं. बता दें कि अभी तक भारत सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन व्यापारियों ने आयात ड्यूटी बढ़ने के डर से नवंबर-दिसंबर महीने के लिए मलेशियाई तेल खरीदना बंद कर दिया है.
 
हालांकि, इससे पहले मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पाम ऑयल के आयात में कटौती की खबरों पर भड़कते हुए कहा था कि भारत भी कुआलालाम्पुर को अपना सामान निर्यात करता है. दोनों देशों के बीच व्यापार एकतरफा नहीं है.

भारत से टकराव के बीच मलेशिया की मंत्री टेरेसा कॉक ने कहा है कि उनका देश भारत से चीनी और भैंस के मांस का आयात बढ़ाने की योजना बना रहा है. उन्होंने माना कि वह दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते को पहुंचे नुकसान से अवगत हैं.

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4 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे पर बयान को लेकर मलेशिया और तुर्की के खिलाफ सख्त बयान जारी किए थे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इन देशों को दो संदेश दिए. एक कि उन्हें हालात की ठीक समझ होनी चाहिए और दूसरी बात मलेशियाई सरकार को ऐसे बयान जारी करने से पहले भारत के साथ अपने मित्रतापूर्ण रिश्तों को ध्यान में रखना चाहिए.

जहां पाम ऑयल मलेशिया के निर्यात में बड़ी हिस्सेदारी रखता है तो दूसरी तरफ भारत इसका शीर्ष खरीददार है. भारत ने जनवरी से सितंबर महीने के बीच मलेशिया से करीब 2 अरब डॉलर कीमत के 39 लाख टन पाम तेल का आयात किया था.

भारतीय कारोबारियों ने तेल की खरीदारी रोक दी है जिसके बाद मलेशिया के पाम तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, कश्मीर मुद्दे पर मलेशिया द्वारा भारत की आलोचना करने के बाद से ही आयातकों ने कुआला लाम्पुर से खरीददारी में कटौती करनी शुरू कर दी थी.

सितंबर महीने में मलेशिया से पाम ऑयल की खरीदारी में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. 4 सितंबर के बाद से मलेशिया के रिफाइंड पाम ऑयल पर 5 फीसदी की सेफगार्ड ड्यूटी की वजह से भी आयात में कमी आई है.

ये सारे घटनाक्रम मलेशिया के लिए चिंताजनक है क्योंकि भारत उससे हर साल करीब 40 लाख मीट्रिक टन तेल का आयात करता है. यह भारत के कुल 9 मीट्रिक टन के पाम ऑयल के आयात का बड़ा हिस्सा है. दूसरी तरफ, चीन और पाकिस्तान मिलकर मलेशिया से सिर्फ 2.4 मीट्रिक टन की ही खरीददारी करता है. भारत के पाम तेल की कुल खरीददारी का मलेशिया के कुल निर्यात का 15 फीसदी हिस्सा है.

कुछ भारतीय उद्योगपतियों को इस बात पर हैरानी हो रही है कि जब सऊदी अरब और यूएई जैसे इस्लामिक देश कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन कर रहे हैं तो मलेशिया ने उनसे सीख क्यों नहीं ली? हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब मलेशिया ने भारत को झटका दिया हो. इससे पहले, मलेशियाई सरकार ने आतंकवाद फैलाने के आरोपी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक को भारत में प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया था. मलेशिया में महातिर के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे हैं.

दूसरी तरफ, मलेशिया-भारत के ट्रेड वॉर के बीच इंडोनेशिया को फायदा मिल रहा है. इंडोनेशिया का भारत के साथ निर्यात पिछले कुछ वक्त में बढ़ा है. इंडोनेशिया ने भी भारत से ज्यादा चीनी खरीदने का ऑफर दिया है और साथ ही पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की भी मांग की है.

मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद को भारत विरोधी रुख की वजह से अपने देश के कारोबारियों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है. महातिर के एक आलोचक ने तो यहां तक कह दिया कि जिस तरह से वह भारत के साथ अपने रिश्तों को खराब कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर सबमें सिर्फ पाम ऑयल से ही काम चलाना होगा.

विश्लेषकों का कहना है कि चीन और अमेरिका अक्सर अपने व्यापारिक रिश्तों को ताकत की तरह इस्तेमाल करते हैं. अब भारत भी व्यापार को हथियार बना रहा है. भारत मलेशिया से प्राकृतिक रबर का आयात करता है जबकि पाकिस्तान के दोस्त तुर्की से संगमरमर, लोहा, स्टील, सोना, कोयला और टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े उत्पादों का आयात करता है. अगर भारत इसमें कटौती करता है तो दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचेगा.

 

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