कर्नाटक में उठापटक जारी,अब क्या होगा आगे? किसकी क्या रहेगी भूमिका?

कर्नाटक में एक बार फिर अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई है। अबतक सत्ताधारी गठबंधन के एक दर्जन से अधिक विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। इससे जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस की गठबंधन सरकार संकट में घिर गई है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी
राज्य विधानसभा का सत्र 12 जुलाई को शुरू होने वाला है। ऐसे में, आने वाले कुछ दिनों में यह गठबंधन सरकार बचेगी या गिरेगी, इस सवाल का जवाब कई बातों पर निर्भर करेगा। सरकार बचाने या उसे गिराने की लड़ाई न सिर्फ बेंगलुरु की गलियों में, बल्कि मुंबई, सुप्रीम कोर्ट और विधानसभा मे भी लड़ी जा रही है।

ऐसी स्थिति में क्या हालात पैदा हो सकते हैं?

जानिए, विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार, राज्यपाल वजुभाई वाला, मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और सुप्रीम कोर्ट की आने वाले दिनों में क्या भूमिका रह सकती है।

विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका

स्पीकर ने तीन बाग़ी विधायकों को 12 जुलाई दोपहर बाद तक और दो अन्य को 15 जुलाई तक पेश होने कहा है। किसी भी चुने हुए प्रतिनिधि के लिए जरूरी है कि वह ख़ुद को पीठासीन अधिकारी के सामने पेश करे ताकि स्पीकर संतुष्ट हो कि विधायक जो भी कर रहा है, अपनी इच्छा से कर रहा है न कि किसी दबाव के चलते।

विधानसभा अध्यक्ष तुरंत इस्तीफों को स्वीकार या अस्वीकार करने का आदेश दे सकते हैं। जिन विधायकों को स्पीकर ने अपने सामने पेश होने को कहा है, वे कांग्रेस के वफादार माने जाते हैं। ऐसे में उनके इस्तीफा वापस लेने की संभावनाओं को ख़ारिज नहीं किया जा सकता। अयोग्य ठहरा दिए जाने की धमकी की संभावना भी उन्हें इस्तीफा देने से फैसले से पीछे हटा सकती है।

कांग्रेस पार्टी ने इन बाग़ी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका डाली है। ऐसे में इन विधायकों के भविष्य का फैसला करते हुए स्पीकर इस याचिका पर भी विचार कर सकते हैं। 12 को वह तब भी आदेश सुना सकते हैं जब विधायकों के इस्तीफे ‘निर्धारित प्रारूप’ में न हों। भले ही विधानसभा अध्यक्ष ने पिछले 24 घंटों में तेजी दिखाई है मगर उनके लिए इन त्याग पत्रों पर फैसला लेने के लिए कोई तय समयसीमा नहीं है।

राज्यपाल की भूमिका

बाग़ी विधायकों के इस्तीफे की प्रतियों और बीजेपी की ओर से सौंपे गए पत्र के आधार पर राज्यपाल कर्नाटक के मुख्यमंत्री को निर्देश दे सकते हैं कि वह विधानसभा में विश्वास मत हासिल करें। वह मुख्यमंत्री को 12 जुलाई से पहले ही ऐसा करने के लिए कह सकते हैं। राज्यपाल इस बात की सिफारिश भी कर सकते हैं कि फिलहाल विधानसभा को निलंबित रखा जाए।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट के पास अधिकार नहीं है कि वह विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों के ऊपर कोई आदेश दे। सुप्रीम कोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने का आदेश नहीं दे सकता। वह बाद में तब कोई आदेश दे सकता है जब बाग़ी विधायक किसी तरह की क़ानूनी मदद चाहें। हालांकि, सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से की जाने वाली टिप्पणियों को राजनीतिक दल बाद में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के दौरान इस्तेमाल कर सकते हैं।

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