कम करना है तनाव, तो एक कप चाय ही काफी है

चाय हमारे लिए उपयोगी है या अनुपयोगी, इस बात पर कई बार तर्क – वितर्क हो चुके हैं. कई शोध में चाय को घातक माना गया है तो कई शोध इसे लाभकारी भी सिद्ध कर कर चुके हैं. चाय की तुलना पान, गुटके, बीड़ी-सिगरेट, शराब अथवा तम्बाकू से नहीं की जा सकती.चाय हमारे लिए उपयोगी है या अनुपयोगी, इस बात पर कई बार तर्क - वितर्क हो चुके हैं. कई शोध में चाय को घातक माना गया है तो कई शोध इसे लाभकारी भी सिद्ध कर कर चुके हैं. चाय की तुलना पान, गुटके, बीड़ी-सिगरेट, शराब अथवा तम्बाकू से नहीं की जा सकती. हम में से कितने लोग जानते हैं या कितने लोगों ने सुना है कि चाय की वजह से किसी की मौत हुई हो? या किसी को कोई गंभीर या घातक बीमारी इसकी वजह से हुई हो? जबकि हर साल लाखों लोग पान, गुटके, बीड़ी-सिगरेट, शराब अथवा तम्बाकू की वजह से कई घातक बीमारियों को आमंत्रित करते हैं और उनकी मौत भी हो जाती है.   अगर देखा जाये तो चाय पारम्परिक भारतीय पेय तो नहीं है लेकिन फिर भी यह भारत का लोकप्रिय पेय है. चाय कैसी भी हो, दूध वाली या बिना दूध की, मीठी हो या फीकी, काली हो या सफ़ेद, अदरक, तुलसी वाली हो या नीम्बू वाली, लेकिन इसका कोई भी प्रकार हो इसमें चाय की पत्ती अवश्य ही डलती है. चाय की पत्ती वास्तव में विशुद्ध रूप से एक वनस्पति है. इसलिए इसे हर्बल पेय की श्रेणी में रख सकते हैं.   कई लोग चाय को भारतीय संस्कृति के खिलाफ मानते हैं. लेकिन प्राचीन काल से ही किसी भी उपचार के लिए काढ़ा बनाकर पिलाया जाता था और चाय इससे अलग नहीं है. लगभग सभी लोगों का मानना है की चाय में कैफीन पाया जाता है जो की स्वास्थ के लिए हानिकारक है, लेकिन सभी लोग यह नहीं जानते की चाय में कैफीन के अलावा थियानिन भी पाया जाता है. थियानिन नामक तत्व हमारी सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. कई शोध के बाद यह सिद्ध हुआ है कि थियानिन हमारे तनाव को तो कम करता ही है लेकिन यह हमारी एकाग्रता और सतर्कता को बढ़ाने में बहुत सहायक होता है.  एक शोध के अनुसार :  जब भी हम ध्यान की अवस्था में होते हैं तो हमारे मस्तिष्क से जो तरंगें निकलती हैं उन्हें अल्फा तरंगें कहते हैं. और ध्यान की उस अवस्था को ‘अल्फा स्टेट ऑफ माइंड’ कहा जाता है। इस अवस्था में शरीर में कई लाभदायक हार्मोंस का उत्सर्जन शुरू हो जाता है जो व्यक्ति को तनावमुक्त कर उसे रोगों से बचाता है। चाय में पाया जाने वाला थियानिन भी मस्तिष्क को उसी अवस्था में ले जाने में सक्षम है।  अगर हमारे शरीर में पॉलीफिनॉल्स नामक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो तो इससे याददाश्त की कमी का खतरा कम हो जाता है। चाय, कॉफी जैसे पेय पदार्थ शरीर के लिए पॉलीफिनॉल्स के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।  चाय एंटीऑक्सीडेंट का भी महत्वपूर्ण स्रोत है और यह हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।   चाय में मौजूद तैलीय तत्व हमारी पाचन क्षमता को बढ़ाते हैं।  चाय डिहाइड्रेशन दूर करने और कोलेस्ट्रॉल को रोकने में भी सक्षम है।

हम में से कितने लोग जानते हैं या कितने लोगों ने सुना है कि चाय की वजह से किसी की मौत हुई हो? या किसी को कोई गंभीर या घातक बीमारी इसकी वजह से हुई हो? जबकि हर साल लाखों लोग पान, गुटके, बीड़ी-सिगरेट, शराब अथवा तम्बाकू की वजह से कई घातक बीमारियों को आमंत्रित करते हैं और उनकी मौत भी हो जाती है. 

अगर देखा जाये तो चाय पारम्परिक भारतीय पेय तो नहीं है लेकिन फिर भी यह भारत का लोकप्रिय पेय है. चाय कैसी भी हो, दूध वाली या बिना दूध की, मीठी हो या फीकी, काली हो या सफ़ेद, अदरक, तुलसी वाली हो या नीम्बू वाली, लेकिन इसका कोई भी प्रकार हो इसमें चाय की पत्ती अवश्य ही डलती है. चाय की पत्ती वास्तव में विशुद्ध रूप से एक वनस्पति है. इसलिए इसे हर्बल पेय की श्रेणी में रख सकते हैं. 

कई लोग चाय को भारतीय संस्कृति के खिलाफ मानते हैं. लेकिन प्राचीन काल से ही किसी भी उपचार के लिए काढ़ा बनाकर पिलाया जाता था और चाय इससे अलग नहीं है. लगभग सभी लोगों का मानना है की चाय में कैफीन पाया जाता है जो की स्वास्थ के लिए हानिकारक है, लेकिन सभी लोग यह नहीं जानते की चाय में कैफीन के अलावा थियानिन भी पाया जाता है. थियानिन नामक तत्व हमारी सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. कई शोध के बाद यह सिद्ध हुआ है कि थियानिन हमारे तनाव को तो कम करता ही है लेकिन यह हमारी एकाग्रता और सतर्कता को बढ़ाने में बहुत सहायक होता है.

एक शोध के अनुसार :

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जब भी हम ध्यान की अवस्था में होते हैं तो हमारे मस्तिष्क से जो तरंगें निकलती हैं उन्हें अल्फा तरंगें कहते हैं. और ध्यान की उस अवस्था को ‘अल्फा स्टेट ऑफ माइंड’ कहा जाता है। इस अवस्था में शरीर में कई लाभदायक हार्मोंस का उत्सर्जन शुरू हो जाता है जो व्यक्ति को तनावमुक्त कर उसे रोगों से बचाता है। चाय में पाया जाने वाला थियानिन भी मस्तिष्क को उसी अवस्था में ले जाने में सक्षम है।

अगर हमारे शरीर में पॉलीफिनॉल्स नामक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो तो इससे याददाश्त की कमी का खतरा कम हो जाता है। चाय, कॉफी जैसे पेय पदार्थ शरीर के लिए पॉलीफिनॉल्स के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

चाय एंटीऑक्सीडेंट का भी महत्वपूर्ण स्रोत है और यह हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं। 

चाय में मौजूद तैलीय तत्व हमारी पाचन क्षमता को बढ़ाते हैं।

चाय डिहाइड्रेशन दूर करने और कोलेस्ट्रॉल को रोकने में भी सक्षम है।

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