कटऑफ गिराई, नियम बदले तब भी इस बार आईआईटी में सीटें रहेंगी खाली

जयपुर/ कोटा।देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिले के लिए आईआईटी को पिछले दो साल से अपनी कट ऑफ गिरानी पड़ रही है। इसके बावजूद खाली सीटों भर पाने में आईआईटी नाकाम साबित हो रही है। साल 2015 से आईआईटी और एनआईटी प्लस सिस्टम में कॉमन काउंसलिंग शुरू की है। मकसद था कि अधिक से अधिक छात्रों को एडमिशन देकर आईआईटी की सीटें भरना। यहां तक की इस साल तो फोरन स्टूडेंट्स को दाखिला देने के लिए उनको जेईई मेन्स से छूट तक दे दी गई। तमाम प्रयासों के बावजूद सीटें खाली ही रह रही है।
कटऑफ गिराई, नियम बदले तब भी इस बार आईआईटी में सीटें रहेंगी खाली
क्या है कॉमन काउंसलिंग, इसीलिए बदला …
– वहीं एग्जाम से पहले आईआईटी की एग्जामिनेशन कंडक्ट करवाने वाली बॉडी खुद कट ऑफ निर्धारित करते हुए उसको सार्वजनिक करती है, लेकिन परिणाम आने के बाद इस कट ऑफ में दस से 15 प्रतिशत तक की गिरावट हो जाती है।

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– साल 2014 तक कट ऑफ में किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाता है। साल 2015 में मानव संसाधन मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद कॉमन काउंसलिंग शुरू की गई, तब से ही कट ऑफ बड़ा अंतर आता है।

– इस साल भी आईआईटी ने काउंसलिंग कट ऑफ की पहले से ही घोषणा कर दी है। सामान्य वर्ग के लिए 35, ओबीसी नॉन क्रीमीलेयर के लिए 31.5 और इसके अलावा अन्य आरक्षित वर्ग के लिए कट ऑफ 17. प्रतिशत रहेगी।
– प्रिपरेटरी कोर्स की कट ऑफ 8.75 प्रतिशत रहेगी। इस साल भी कॉमन काउंसलिंग को देखते हुए यह कट ऑफ गिरेगी।
क्या है कॉमन काउंसलिंग
– साल 2014 तक जेईई मेन्स और जेईई एडवांस की अलग अलग काउंसलिंग होती थी। लेकिन सीटें खाली रहने के कारण ज्वाइंट सीट अलोकेश बोर्ड ने कामन काउंसलिंग शुरू कर दी।
– साल 2014 अलग अलग काउंसलिंग होने के कारण इसके छात्र आईआईटी काउंसलिंग में क्वालीफाई करने वाला छात्र आईआईटी के साथ एनआईटी का विकल्प भी भरता था।
– लेकिन अलॉट एक ही संस्थान होता था और एक संस्थान की सीट खाली रह जाती है। कॉमन काउंसलिंग के बाद अब छात्र आईआईटी के साथ एनआईटी का विकल्प भर सकता है, लेकिन अलॉट एक ही संस्थान होगा।
– इसके भी वरीयता के आधार पर दाखिला दिया जाएगा।
इसीलिए बदला ट्रेंड
– साल 2014 के बाद से एनआईटी और आईआईटी के लिए कॉमन काउंसलिंग
– मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से अधिक से अधिक सीटेंं भरने का प्रयास
– आईआईटी की संख्या में बढ़ोतरी, सीटों में भी वृद्धि
– पिछले तीन साल से मेन्स के एडवांस में क्वालीफाई करने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी
-सीटे खाली से रहने से ग्लोबल इमेज पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव को रोकना
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