एक साल में पूरा करना होगा दिल्ली-देहरादून हाईवे पर मोतीचूर कॉरिडोर का काम, वरना…

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित आधे-अधूरे मोतीचूर कॉरिडोर का निर्माण साल भर में पूरा ही करना होगा, वरना उसे उसे दो करोड़ रुपये का नुकसान भुगतना पड़ेगा।एक साल में पूरा करना होगा दिल्ली-देहरादून हाईवे पर मोतीचूर कॉरिडोर का काम, वरना...

आठ साल से लटके पड़े कॉरिडोर के निर्माण में ढिलाई पर कड़ी नाराजगी जताते हुए शुक्रवार को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने यह आदेश दिया। एनजीटी ने दो करोड़ रुपये बतौर ‘परफार्मेंस गारंटी’ एनएचएआई को जमा कराने का आदेश दिया है। एक साल में निर्माण पूरा नहीं होने पर यह ‘परफार्मेंस गारंटी’ जब्त कर ली जाएगी।

 ‘सेंटर फार वाइल्ड लाइफ  एंड एंवायरनमेंट लिटिगेशन’ के भानु बंसल ने इस संबंध में एनजीटी में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने बताया था कि राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी और उत्तरी इलाकों में रहने वाले वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वर्ष 2009 में सुप्रीमकोर्ट ने मोतीचूर कॉरिडोर के निर्माण का आदेश दिया था।

जंगल के बीच से गुजरते हाईवे पर प्राधिकरण को 731 मीटर फ्लाईओवर का निर्माण करना था। मकसद यह था कि पूरा यातायात फ्लाईओवर के ऊपर से गुजरे और वन्यजीव फ्लाईओवर के नीचे बने कॉरिडोर के दोनों ओर बेरोकटोक विचरण कर सकें। 2011 में कॉरिडोर का निर्माण शुरू हुआ था, जो अब भी पूरा नहीं हुआ।

इसी प्रकरण में शुक्रवार को एनजीटी में एक बार फिर सुनवाई हुई। एनजीटी ने एनएचएआई को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को दो करोड़ रुपये की परफार्मेंस गारंटी जमा कराने का आदेश दिया है।

एक दिन पूर्व एक अन्य प्रकरण की सुनवाई के दौरान भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बताया था कि पिछले छह महीनों के भीतर हरिद्वार व इसके आसपास के इलाकों में 222 जंगली जानवरों की सड़क हादसों में मौत हो चुकी है। एनजीटी में इस प्रकरण की पांच फरवरी को सुनवाई होगी।

क्या है पूरा मामला
राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी और उत्तरी इलाकों मे रहने वाले वन्यजीवों मसलन हाथी, बाघ, गुलदार जैसे जानवर स्वच्छंद विचरण कर सकें, इसके लिए साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार से आगे राजाजी टाइगर रिजर्व के बीचों बीच मोतीचूर कॉरिडोर के निर्माण का आदेश जारी किया था। योजना बनाई कि प्रस्तावित कॉरिडोर के तहत हरिद्वार से लेकर लालतप्पड़ तक जगह-जगह फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद साल 2011 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया।

मोतीचूर कॉरिडोर में 731 मीटर के फ्लाईओवर का निर्माण किया जाना था, ताकि इस फ्लाईओवर के ऊपर से गाड़ियां निकल जाएं और राजाजी टाइगर रिजर्व के वन्यजीव फ्लाईओवर के नीचे से आसानी से इधर-उधर विचरण कर सकें। 2011 में कॉरिडोर का निर्माण भी शुरू कर दिया गया था, लेकिन पिछले आठ साल में इस कॉरिडोर का निर्माण पूरा नहीं किया जा सका। जिसका सीधा असर टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों पर पड़ रहा है।

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