आपराधिक मानहानि मामले में जयराम रमेश व अन्य को समन किए जाने पर कोर्ट ने सुरक्षित रखे आदेश

दिल्ली की एक अदालत ने विवेक डोभाल की ओर से दाखिल मानहानि की याचिका पर जयराम रमेश, द कारवान, उसके पत्रकार को तलब करना है अथवा नहीं, इस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। साथ ही कार्रवाई की अगली तारीख 2 मार्च तय की है।आपराधिक मानहानि मामले में जयराम रमेश

सोमवार को गवाहों ने दर्ज कराए थे बयान
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल द्वारा ‘कारवां’ पत्रिका के खिलाफ दायर की गई मानहानि याचिका के समर्थन में दो गवाहों ने सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में अपने बयान दर्ज कराए। विवेक डोभाल ने ‘कारवां’ में कथित मानहानिकारक लेख प्रकाशित किए जाने और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा इस सामग्री का इस्तेमाल किए जाने को लेकर यह याचिका दायर की है।

डोभाल के मित्र निखिल कपूर और कारोबारी सहयोगी अमित शर्मा ने इस आपराधिक मानहानिकारक याचिका के समर्थन में अपने बयान दर्ज कराए। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख तय कर दी थी जिस पर आज सुनवाई हुई अगली तारीख 2 मार्च पड़ी है। डोभाल ने 30 जनवरी को अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था और कहा था कि पत्रिका द्वारा लगाए गए सभी आरोप ‘आधारहीन’ और ‘फर्जी’ हैं।

इससे पहले 30 जनवरी को विवेक डोभाल ने मानहानि मामले में अदालत के सामने अपने बयान दर्ज करवाए थे। उन्होंने कारवां पत्रिका में कथित मानहानिकारक लेख प्रकाशित किये जाने और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा उसकी सामग्री का इस्तेमाल किये जाने पर यह मानहानि का मामला दायर किया हुआ है।

विवेक ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को बताया था कि पत्रिका द्वारा लगाए गए सभी आरोप जिन्हें बाद में रमेश द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन में दोहराया गया वे निराधार और झूठे हैं और इनसे परिवार के सदस्यों और पेशेवर सहकर्मियों के बीच उनकी छवि खराब हुई। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 11 फरवरी को तय की थी जब दूसरे गवाहों के बयान दर्ज किये जाएंगे।

कारवां पत्रिका ने 16 जनवरी को ‘द डी कंपनी’ के शीर्षक वाले ऑनलाइन लेख में कहा था कि विवेक डोभाल ‘केमन द्वीपसमूह में हेज फंड चलाते हैं।’ यह द्वीपसमूह ‘कालेधन को ठिकाने लगाने का स्थापित सुरक्षित ठिकाना’ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में 500 और हजार रुपये के नोट बंद किये जाने के महज 13 दिन बाद पंजीकृत की गई थी।

शिकायत के मुताबिक, रमेश ने 17 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन कर लेख में वर्णित ‘निराधार और निर्मूल तथ्यों’ पर जोर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि लेख के तथ्यों में उन्हें लेकर ‘कोई वैधानिकता’ नहीं है लेकिन पूरा विवरण कुछ इस तरह से दिया गया जो पाठकों को ‘गलत होने का’ संकेत देता है

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