आधार कार्ड नेटवर्क हैक, IITan गिरफ्तार
पुलिस को पूछताछ में अभिनव ने बताया कि साथी प्रेरित श्रीवास्तव से प्रभावित होकर वह 2012 से आधार कार्ड को हैक करने वाला ऐप तैयार करने मेें लगा था। उस दौरान वह और प्रेरित आईआईटी खड़गपुर में पढ़ाई कर रहे थे। यह ऐप बनाने में उसे चार साल का वक्त लगा था। दिसंबर 2016 में ऐप बनाने के बाद 40 हजार से ज्यादा लोगों की जानकारी जुटा ली। उसने जनवरी 2017 में ऐप को गूगल प्ले स्टोर में डाल दिया।
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लिंक्डइन प्रोफाइल पर ओला का हैकर
अभिनव श्रीवास्तव ने लिंक्डइन की प्रोफाइल पर खुद को ओला का हैकर लिखा हुआ है। उसने मोबाइल का बिल अदा करने के लिए मोबाइल पेमेंट ऐप बनाया था। इसे मार्च 2017 में टैक्सी कंपनी ओला ने खरीद लिया था। यूआईडीएआई के अधिकारी अशोक लेनिन ने बताया कि अभिनव ने 1 जनवरी 2017 से 26 जुलाई 2017 के बीच आधार कार्ड का अवैध तरीके से उपयोग किया है।
एक लाख लोग ऐप को प्रयोग कर रहे हैं
बंगलूरू पुलिस की साइबर टीम इस मामले की जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि करीब एक लाख लोग इस ऐप को डाउनलोड कर प्रयोग कर रहे हैं। अब जांच एजेंसी इस ऐप को गूगल से हटाने की तैयारी कर रही है। इस ऐप पर क्लिक करने से कोई भी ई-हॉस्पिटल सेवा में प्रवेश कर आधार कार्ड से जुड़ी जानकारियों को हासिल कर सकता है। इसके अलावा उसने पांच और ऐप बनाए हैं। उसने इन ऐप पर विज्ञापनों के जरिए रुपये कमाए हैं।
बहराइच का मूल निवासी है
अभिनव श्रीवास्तव का परिवार मूलरूप से बहराइच का निवासी है। पिता कानपुर में नौकरी लगने के बाद यहां शिफ्ट हो गए थे। अभिनव की बहन लखनऊ में रहती है। अभिनव ने फेसबुक में 27 जुलाई को आखिरी पोस्ट किया है। उसकी फेसबुक को 87 लोग फॉलो करते हैं। उसे पहाड़ों पर ट्रैकिंग करने का शौक है। वह तीन ग्रुप शारपास, बेंगलूरू स्टार्ट अप और ट्रैकिंग टू द हिमालया से जुड़ा है।