अरुणाचल प्रदेश में बिगड़े हालात, सेना ने संभाला मोर्चा, दो की मौत
अरुणाचल प्रदेश में छह समुदायों को स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) देने को लेकर रविवार को भी हिंसा जारी रही। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की ओर से फायरिंग की गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है। जबकि सरकार ने इसे स्थगित करने की बात कही है।
मामले पर मुख्यमंत्री पेमा खांडू का कहना है कि उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं। पीआरसी पर सरकार का रुख स्पष्ट है लेकिन फिर भी हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। आयुक्त स्तर की एक जांच समिती बनाई है। जनता के सामने सच आना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि हमें महसूस हो रहा है कि इन घटनाओं के पीछे किसी का हाथ है। अन्यथा अरुणचल प्रदेश एक शांतिपूर्व राज्य है।
शनिवार को प्रशासन ने ईटानगर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू भी लागू कर दिया। हिंसा ना बढ़े इसके लिए सेना ने ईटानगर और नहरगांव में फ्लैग मार्च भी निकाला। केंद्र सरकार ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन की मदद करने के लिए राज्य में 1,000 अर्धसैनिक बलों को भेजा है।
रविवार को प्रदर्शनकारियों ने उपमुख्यमंत्री चौना मेन के घर को भी फूंक दिया है। लोगों में राज्य सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है। चौना मेन को रविवार सुबह राज्य की राजधानी ईटीनगर से नामसाईं जिले में भेज दिया गया। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने जिला आयुक्त के आवास पर भी आगजनी और तोड़फोड़ की। इसमें पुलिस अधीक्षक स्तर का एक अधिकारी घायल हो गया है। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने पार्किंग में खड़े कई वाहनों में भी आग लगा दी।
स्थायी निवासी प्रमाणपत्र क्या है?
अब मामले पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार ने छह समुदायों को स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) देने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया है। इसके लिए रिजिजू ने कांग्रेस को लोगों के एक खास वर्ग को उकसाने के लिए दोषी ठहराया है।
रिजिजू ने अपने ट्वीट में बताया कि अरुणाचल प्रदेश सरकार ने नामसी और चांगलांग जिलों में रहने वाले छह समुदायों को पीआरसी न देने का फैसला किया है। इसके कारण राज्य की राजधानी ईटानगर और अन्य स्थानों पर व्यापक हिंसा की खबर आई है, जिसमें कम से कम दो व्यक्तियों की मौत हो गई, कई लोगों को चोट लगी और संपत्तियों और वाहनों को नष्ट कर दिया गया है।