अब 19 नवंबर से अन्य देवताओ के साथ विष्णु फिर से बाहर आ जाएंगे और इस धरती सहित समूचे ब्राह्मांड की बागडोर संभाल लेंगे। विष्णु के जाग्रत होते ही दैविक शक्तियों का आगमन होगा। तब तक आकाशीय गति भले ही विपरीत रहे, लेकिन देव जागरण के कारण मांगलिक उत्सव आनंदपूर्वक संपन्न होने लगेंगे।