अगले महीने था जन्मदिन, लेकिन उससे पहले ही बिजली की अव्यवस्था ने ले ली उसकी जान….

बेटी कहती थी, एक दिन यह नंगे तार किसी की जान ले लेंगे, वही हुआ। मेरी मासूम बेटी को खा गई यह बिजली। वो तो सूर्य भगवान को जल चढ़ाने गई थी उसे क्यों बुला लिया। मासूम की मौत के बाद उसकी मां रोते हुए कुछ इस तरह पछतावा कर रही थी। परी तो रोज की तरह छत पर पहुंची थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि पहली बारिश में छत पर नंगे और खुले पड़े बिजली के तार उसकी जान ले लेंगे। अगले महीने 21 जुलाई को परी का 10वां जन्म दिन था। उसने पापा से बर्थ-डे में साइकिल मांगी थी। विश पूरी होने से पहले बिजली की अव्यवस्था ने मासूम की जान ले ली।

मकान बनने के बाद खींचा था तार

कॉलोनी में बिजली के पोल नहीं हैं। सिर्फ एक ट्रांसफार्मर ग्रीनबुड स्कूल के पास लगा है। सीआरपीएफ जवान का घर स्कूल से 100 से 150 कदम की दूरी पर था। 5 साल पहले मकान बनवाया था। तब बांस-बल्लियों को गाढ़कर घर तक तार खींचा था। बीच में जब भी तार टूट जाता, वहां ज्वॉइंट लगाकर नया तार लगा देते थे। छत पर डले तार में भी कट लगा था, जो बच्ची की मौत का कारण बना।

गुस्साए लोगों का सड़क पर फूटा गुस्सा

बिजली की व्यवस्था से लोगों में गुस्सा था। दूर-दूर से तारों को बांस लगाकर घर तक खींचना पड़ता है। ऐसे में बुधवार सुबह बच्ची की मौत से लोगों का गुस्सा गहरे आक्रोश में बदल गया। हादसे के बाद लोग भिंड रोड पर हंगामा करने आ गए। डीडी नगर गेट के सामने चौराहा पर वाहनों को खड़ा कर यातायात जाम कर दिया। कुछ ही देर में भिंड रोड पर दोनों तरफ वाहनों को लम्बी लाइन लग गई। दोनों तरफ वाहन फंसे थे। इसी बीच एक ट्रैक्टर-ट्रॉली भी पलट गई। हंगामे की सूचना पर सीएसपी रवि भदौरिया, भाजपा नेता सतीश सिकरवार अन्य नेता पहुंचे। यहां लोगों को समझाया और जल्द व्यवस्थाएं सुधारने का आश्वासन दिया। जिसके बाद जाम खुल सका।

मासूम समझ नहीं पा रहा था बहन के साथ क्या हुआ है

घर के बाहर खेल रहा था। उसे पता भी नहीं था कि उसने क्या खो दिया है। जब उससे बहन परी के बारे में पूछा तो मासूम हंसते हुए बोला- दीदी को करंट लग गया था, पापा हॉस्पिटल ले गए हैं। वह नहीं जानता था कि उसकी बहन कभी उसे मिलेगी ही नहीं।

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