जानें क्या होगा अगर हवाई जहाज के दोनों पायलट को दे दिया एक जैसा खाना, जानकर यकीन करना होगा मुश्किल

हवाई जहाज के बारे में कुछ ऐसी बातें है जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे। हवाई जहाज का आविष्कार राइट बंधुओं ने साल 1903 में किया था और आसमान की ऊंचाईयों को छुआ था। हालांकि कुछ-कुछ लोग ये भी कहते हैं कि राइट बंधुओं से आठ साल पहले यानी साल 1895 में मुंबई के रहने वाले शिवकर बापूजी तलपड़े ये कारनामा कर चुके थे, लेकिन उनकी उपलब्धि इतिहास के पन्नों में कहीं खो गई।

हवाई जहाज में पायलट और को-पायलट को अलग-अलग तरह का खाना दिया जाता है। ऐसा इसलिए कि दोनों पायलट एक जैसा खाना खाकर बीमार न हो जाएं। अगर खाने में कुछ गड़बड़ है तो एक जैसा खाना खाकर दोनों के दोनों पायलट बीमार हो सकते हैं। 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हवाई यात्रा के दौरान लोग ज्यादा गैस छोड़ते हैं। इसलिए हवाई जहाज में दुर्गंध को कम करने के लिए चारकोल फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है।

हवाई सफर के दौरान हमारा खाने का स्वाद बदल जाता है, क्योंकि एयरलाइंस में दिए गए खानों में ज्यादा नमक का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन विमान में दबाव ज्यादा होने की वजह से हमें स्वाद में इसका पता नहीं चलता है।

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हवाई जहाज में इमरजेंसी (आपातकाल) के समय जो ऑक्सीजन मास्क यात्रियों को दिए जाते हैं, उसके सहारे यात्री सिर्फ 15 मिनट ही जिंदा रह सकते हैं।

साल 1953 से पहले हवाई जहाज की खिड़कियों के कोने चौकौर होते थे, लेकिन एक दुर्घटना की वजह से बाद में खिड़कियों को गोल बनाया जाने लगा, क्योंकि गोल किनारे हवा का ज्यादा विरोध नहीं करते और इससे विमान पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता है।

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