अगर भारत उठा ले ये कदम, तो पाक को तुरन्त खोलना पड़ेगा पीएम मोदी के लिए एयरस्पेस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस खोलने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि पाकिस्तान पीएम मोदी को अपने हवाई मार्ग के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगा.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि यह फैसला कश्मीर के हालात को देखते हुए किया गया है. पाक विदेश मंत्री ने बताया, भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 20 सितंबर को जर्मनी जाने और 28 सितंबर की रिटर्न फ्लाइट के लिए एयरस्पेस खोलने की अपील की गई थी.

पाकिस्तान के इस कदम की विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने निंदा की. उन्होंने कहा कि दो सप्ताह के भीतर दूसरी बार पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद किया है. किसी भी सामान्य देश द्वारा नियमित रूप से ये प्रदान किया जाता है. गौरतलब है कि सितंबर महीने में भी पाकिस्तान ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की फ्लाइट के लिए अपना एयरस्पेस खोलने से इनकार कर दिया था.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 सितंबर को अमेरिका पहुंचने के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल करने वाले थे. पीएम मोदी हाउस्टन में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित भी करेंगे. इसके बाद, पीएम मोदी 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे.

कश्मीर पर सारी कूटनीतियां असफल होने के बाद पाकिस्तान एयरस्पेस बंद करने का पैंतरा अपना रहा है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक पाकिस्तान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल के लिए अनुमति देनी पड़ सकती है. अगर पाकिस्तान भारत के अनुरोध को खारिज करता है तो भारत अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन में अपील दायर कर सकता है. इसके बाद पाकिस्तान को भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.

अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, किसी भी देश के क्षेत्र से 12 नॉटिकल मील या 22.2 किमी की दूरी तक उसका एयरस्पेस माना जाता है और उस देश का अपने एयरस्पेस पर पूरा नियंत्रण होता है. देशों का एक फ्लाइंग कॉरिडोर होता है जिसमें वह विदेशी कॉमर्शियल फ्लाइट्स के प्रवेश पर विचार कर सकता है. पाकिस्तान समेत कई देश इसके जरिए बड़ा राजस्व कमाते हैं. उदाहरण के तौर पर, अगर एयर इंडिया का विमान पाकिस्तान के एयरस्पेस से गुजरता है तो उसे समझौते के तहत पाकिस्तान की सरकार को निर्धारित धनराशि का भुगतान करना होगा. कई देश अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल रणनीतिक बढ़त बनाने के लिए भी कर रहे हैं.

 

 

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