अगर आप भी छोटी-छोटी बिमारियों में खाते हैं दवाईयाँ, तो हो जाएँ सावधान

यदि आप भी छोटी-छोटी बीमारियों जैसे सिरदर्द, जुकाम, पेट दर्द होने पर कोई भी एंटीबायोटिक, एस्पिरीन जैसी दवाईयां लेना शुरु कर देते हैं तो इससे आपको थोड़ी देर के लिए आराम तो मिल जाता है लेकिन आपकी यह आदत आपके लिए खतरनाक हो सकती है और इसके कई साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं।

अगर आप भी छोटी-छोटी बिमारियों में खाते हैं दवाईयाँ, तो हो जाएँ सावधान

तो हम बता रहे हैं आपको इन अंग्रेजी दवाईयों के प्रयोग से होने वाले साइड-इफेक्ट्स के बारे में

जुकाम के लिए ली जाने वाली दवाईयां

नाक के अंदरुनी भाग में सूजन, किसी भी तरह का इंफेक्शन या अन्य कारणों से जुकाम होने पर आप तुरंत एंटीबॉयोटिक्स या जुकाम ठीक करने की कोई अन्य दवा लेते हैं लेकिन जुकाम में दवा लेने का कोई असर नही होता है बल्कि जुकाम के दौरान दवा लेने से आपको एंटीबॉयोटिक्स के साइड इफेक्ट्स जरूर झेलने पड़ते हैं।। कई रिसर्च से साबित हो चुका है कि जुकाम 4 से 6 दिन में अपने आप सही हो जाता है। 

दवाईयों से डायबिटीज बढ़ती है

कुछ दवाईयां होती हैं जिनके लगातार या ज्याद प्रयोग से डायबिटिज होने का खतरा होता है। जैसे कफ सीरप, नींद की गोली, एंटी डिप्रेसेंट्स आदि दवाईयां हैं जिनके सेवन से शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और शरीर में इंसुलिन की कमी से ही डायबिटीज की समस्या पैदा होती है। 

इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा होता है

हार्ट संबंधी बीमारी, ब्लड क्लाट बनने से रोकने के लिए दी जाने वाली दवाओं एस्प्रिन आदि के प्रयोग से शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा लगभग 100 गुना तक बढ़ जाता है। इससे आपकी शरीर के आंतरिक अंग कमजोर हो जाते हैं और उनमें रक्तस्त्राव शुरु हो जाता है। एक सर्वे के अनुसार प्रतिदिन एस्प्रिन का प्रयोग करने वाले लोगों में से लगभग 10 हजार लोगों को इंटरनल ब्लीडिंग का सामना करना पड़ा।

सीने के जलन में प्रयोग की जाने वाली दवाईयों से अल्सर

कई बार भोजन के सही से न पचने, दूषित भोजन कर लेने आदि कई कारणों से सीने में जलन की समस्या हो जाती है जिसके लिए आप डाक्टर द्वारा सुझाई गई या कई बार खुद से भी मेडिकल स्टोर से सीने की जलन ठीक करने के लिए एंटी-गैस्ट्रिक दवाईयां ले लेते हैं इनसे आंतों का अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है साथ ही हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और शरीर में विटामिन बी12 को ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है आदि कई बीमारियां घेर लेती हैं।

वैक्सीन का दुष्प्रभाव

वैक्सीन लोगों को बीमारी में या बीमारी से बचाने के लिए लगाई जाती हैं लेकिन कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जो अब बेअसर हो चुकी हैं या फिर वायरस को रोकने की जगह फैलाने का काम कर रही हैं जैसे फ्लू वायरस की वैक्सीन। बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन डीटीएपी सिर्फ बी.परट्यूसिस से लड़ने के लिए बनाई गई है जो कि एक सामान्य सी बीमारी है लेकिन यह वैक्सीन फेफड़ों में इंफेक्शन के खतरे को बढ़ाती है और इम्यूनिटी पावर को भी कमजोर कर देती है।

लीवर डैमेज होने का खतरा होता है

एंटीबॉयोटिक्स का स्वास्थ्य लाभ में महत्वपूरण योगदान है इसने व्यक्ति की औसत उम्र बढ़ा दी है लेकिन यदि लंबे समय तक एंटीबॉयोटिक्स का प्रयोग किया जाए तो व्यक्ति की किडनी तथा लिवर बुरी तरह से प्रभावित होते हैं।

कैंसर होने का खतरा होता है

ब्लड प्रेशर के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवाइयों से कैंसर होने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्लडप्रेशर की दवाइयां शरीर में कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स की संख्या बढ़ा देती हैं, जिससे शरीर में कोशिकाओं के मरने की दर बढ़ जाती है और कोशिकाएं बेकार होकर कैंसर की गांठ बनाने में लग जाती हैं।

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