श्राद्ध में 16 दिनों तक क्यों नहीं करते शुभ कार्य, क्या है कौवे और श्वान का महत्व…
श्राद्ध में ब्राह्राण, गाय ,कौए और श्वान का महत्व
श्राद्ध पक्ष में पितरों के अलावा ब्राह्राण,गाय, श्वान और कौए को ग्रास निकालने की परंपरा है। गाय में सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए गाय का महत्व है। वहीं पितर पक्ष में श्वान और कौए पितर का रूप होते हैं इसलिए उन्हें ग्रास देने का विधान है। पितृपक्ष में इनका खास ध्यान रखने की परंपरा है।
पितरों का श्राद्ध पक्ष में मिलता है शुभ संकेत
-अपने घर के आसपास अगर आपको कौए की चोंच में फूल-पत्ती दिखाई दे जाए तो मनोरथ की सिद्धि होती है।
-अगर कौआ गाय की पीठ पर चोंच को रगड़ता हुआ दिखाई तो समझिए आपको उत्तम भोजन की प्राप्ति होगी।
-अगर कौआ अपनी चोंच में सूखा तिनका लाते दिखे तो धन लाभ होता है।
-कौआ अनाज के ढेर पर बैठा मिले, तो धन लाभ होता है
-अगर सूअर की पीठ पर कौआ बैठा दिखाई दें, तो अपार धन की प्राप्ति होती है।
-यदि कौआ बाईं तरफ से आकर भोजन ग्रहण करता है तो यात्रा बिना रुकावट के संपन्न होती है। वहीं कौआ पीठ की तरफ से आता है तो प्रवासी को लाभ मिलता है।
-अगर कौआ मकान की छत पर या हरे-भरे वृक्ष पर जाकर बैठे तो अचानक धन लाभ होता है।