संसद में बोले रेलमंत्री – रेलवे के निजीकरण का प्रस्ताव नहीं, पूंजी व प्रौद्योगिकी हेतु पीपीपी का उपयोग

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा तेजी से रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है। एक-एक कर रेल गाड़ियां एवं अन्य चीजें निजी क्षेत्र को सौंपी जा रही हैं। हालांकि सरकार ने संसद में कहा कि भारतीय रेल के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। रेल मंत्री ने कहा कि पूंजीगत वित्तपोषण के अंतर को पाटने और आधुनिक प्रौद्योगिकी व दक्षता के लिये जारी पहल में सार्वजनिक निजी साझेदारी माध्यम का उपयोग करने की योजना है। इसके माध्यम से यात्रियों को उन्नत सेवा मुहैया कराई जायेगी।

संसद में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे अंधाधुंध निजीकरण के खिलाफ विपक्ष मुखर है। सोमवार को लोकसभा में अब्दुल खालिक के प्रश्न के उत्तर में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसा अनुमान के मुताबिक़ भारतीय रेल को 2030 तक नेटवर्क विस्तार और क्षमता संवर्द्धन, चल स्टॉक शामिल करने और अन्य कार्यों के लिये 50 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की जरूरत होगी ताकि बेहतर ढंग से यात्री एवं माल सेवाएं मुहैया करायी जा सकें। गोयल ने कहा कि इसके लिए पीपीपी के माध्यम से यात्रियों को उन्नत सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चुनिंदा मार्गो पर यात्री गाड़ियां चलाने का निर्णय लिया गया है।
रेल मंत्री ने कहा कि गाड़ियों के परिचालन और संरक्षा प्रमाणन का उत्तरदायित्व भारतीय रेलवे के पास ही होगा। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय ने यात्रियों को विश्वस्तरीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये पीपीपी के माध्यम से चुनिंदा मार्गो पर निवेश करने और आधुनिक रैक शामिल करने के लिये आवेदन आमंत्रित किये हैं। इस पहल के तहत रेल मंत्रालय ने डिजाइन, निर्माण, वित्त और परिचालन के आधार पर लगभग 109 जोड़ी यात्री गाड़ियां चलाने के लिये गत एक जुलाई को 12 अर्हता अनुरोध जारी किये हैं।
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