बड़ी खबर: लालू-तेजस्वी हो सकते हैं बरी, जांच एजेंसी को नहीं मिले सबूत
जांच में आर्थिक अपराध विभाग ने कहा था कि लालू ने आईआरसीटीसी के रांची और पुरी स्थित होटलों का जिम्मा सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को कथित तौर पर पटना में एक बेनामी कंपनी के जरिए महंगी जमीन प्राप्त होने के बाद सौंप दिया था। इसके बाद सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। हालांकि सूत्रों की मानें तो तब सीबीआई की ही कानूनी शाखा (अभियोजन निदेशालय) ने इस एफआईआर का विरोध किया था। उसकी दलील थी कि इस मामले में अभी और जांच की जरूरत है। इसलिए अभी सिर्फ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।
सुजाता होटल्स को आईआरसीटीसी के होटल दिसंबर 2006 में मिले। जबकि सुजाता होटल्स के निदेशकों विजय और विनय कोचर ने फरवरी 2005 में पटना की जमीन डिलाइट मार्केटिंग नाम की कंपनी को सौंपी थी। जिसके बाद डिलाइट मार्केटिंग का मालिकाना हक 2011-14 के बीच लालू परिवार के पास आया। इस मामले में कानूनी शाखा का कहना है कि इस तरह का कोई सबूत नहीं मिलता जिससे यह साबित हो कि लालू ने रेलवे अधिकारियों को प्रभावित किया था या अवैध तरीके से जमीन अपने नाम पर हस्तांतरित की थी। इस खुलासे के बाद माना जा रहा है कि लालू को इस मामले से बरी किया जा सकता है।