क्या देश के सारे किसान अपना सरनेम बदलकर अंबानी और अडानी कर लेंगे तभी कर्जमाफी मिलेगी?

देश भर से आए किसानों को दिल्ली में आने से क्यों रोका गया? किसानों के प्रदर्शन में ज्यादातर बूढ़े और अधेड़ उम्र की महिलाएं और पुरुष होते हैं। वे कोई हुड़दंगी भीड़ नहीं होते। फिर भी मोदी सरकार ने उनके साथ हिंसा क्यों की?
क्या गलती थी निहत्थे बुजुर्ग किसानों की?
अपने फसल का उचित मूल्य मांगना? किसान विरोधी नीतियों में बदलाव की मांग करना? महात्मा गांधी की समाधि तक जाने की जिद करना? या उद्योगपतियों का कर्ज माफ करने वाली सरकार से कर्ज माफी की गुहार लगाना?
जय जवान जय किसान: मोदी ने जवानों से किसानों को पिटवा दिया, बेटे को बाप के खिलाफ कर दिया
उद्योगपतियों के करोड़ों का कर्ज बट्टे खाते में डालने वाली यानी NPA करने वाली मोदी सरकार किसानों पर आंसू गैस के गोले चलवा रही है, वाटर कैनन चलवा रही है। क्या इन किसानों का सरनेम भी अंबानी-अडानी होता तो मोदी सरकार की इतनी हिम्मत होती?
किसानों को कर्ज से उभरने और आत्महत्या करने से बचने के लिए क्या करना चाहिए? क्या देश भर के किसान अपना सरनेम अंबानी-अडानी और मोदी कर लेंगे तो उनकी बात सुनी जाएगी।
करोड़ों खाकर ‘नीरव-माल्या’ फरार हैं और ‘किसानों’ को मिली मार है, मोदीराज में बागों में बहार है?
एक सवाल ये भी है कि सरकार ने किसानों को दिल्ली में घूसने क्यों नहीं दिया? क्या दिल्ली किसानों के लिए नहीं है?
क्या दिल्ली को इन निहत्थे बुजुर्ग किसानों से खतरा था? सरकार को ये भी बताना चाहिए कि अगर किसान अपनी समस्याएं बताने दिल्ली नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे?
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