कृषि विज्ञान केंद्र ने उर्द एवं मूंग की फसल में कीट व रोग प्रबंधन के बारे दिए सुझाव

मनकापुर गोण्डा- कृषि विज्ञान केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ राम लखन सिंह ने खरीफ की फसलों की सुरक्षा के उपाय बताया। उंन्होने बताया कि विरलीकरण बुवाई के 3 सप्ताह के अंदर घने पौधों को निकालकर पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर कर देना चाहिए। वर्षा के अभाव में फलियां बनते समय एक सिंचाई करना चाहिए ।

खरपतवार प्रबंधन के लिए बुवाई के 3 से 4 सप्ताह पर क्विजालोफॉप की 350 मिलीलीटर अथवा इमेजाथापर की 500  मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ की दर से 300 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। कीट प्रबंधन के लिए बिहार की बालदार सूंड़ी, लाल बालदार सूंड़ी, फली छेदक कीट, सफेद मक्खी, माहू फली से रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप होता है।

एकीकृत प्रबंधन पीली पत्ती प्रकोपित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए । बालदार सूंड़ी के पतंगों को प्रकाश प्रपंच के द्वारा इकट्ठा करके मार देना चाहिए। सफेद मक्खी या माहू के प्रबंधन हेतु डाई मेथोएट 30 ईसी की  400 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड रसायन की आधा मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

फली बेधक कीट के प्रबंधन हेतु इन्डोक्साकारब की डेढ़ सौ मिलीलीटर मात्रा या  क्विनालफास की 600 मिलीलीटर मात्रा या फेनवलरेट 20 ईसी की 300 मिलीलीटर मात्रा को 300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें ।

रोग प्रबंधन में पीला चित्रवर्ण रोग पतियों पर पीले सुनहरे चकत्ते पड़ जाते हैं । रोग बढ़ने पर पूरी पत्ती पीली पड़ जाती है । यह सफेद मक्खियों द्वारा फैलता है। इसकी रोकथाम हेतु ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ईसी की 400 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

पत्र दाग रोग इस रोग में पत्तियों पर गोलाई लिए हुए भूरे रंग के कोणीय धब्बे बनते हैं जिनके बीच का भाग राख या हल्का भूरा तथा किनारा लाल बैंगनी रंग का होता है। इसकी रोकथाम हेतु कॉपर क्लोराइड की सवा किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से 10 दिन के अंतराल पर दो से तीन छिड़काव करें या कार्बेंडाजिम का एक छिड़काव 200 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।

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