इस-इस दिन हुई, पीएम मोदी को जान से मारने की साजिश

पीएम मोदी ने अपने एक बयान में बताया है कि काले धन के मुद्दे को लेकर उनकी जान को खतरा है। इस बयान को कांग्रेस मुद्दा बनाना चाहती है। लेकिन कांग्रेस शायद यह भूल रही है कि भारत ने अपने दो-दो प्रधानमंत्री और कांग्रेस ने अपने शीर्ष नेता आतंकवाद में ही खोएं है। रही बात नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की, तो उनकी जान को खतरा प्रधानमंत्री बनने के बाद से नहीं बल्कि उस दिन से है जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।

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आपको बता दें कि प्रधानमंत्री बनने से पहले भी मोदी को दो बार जान से मारने का प्रयास किया गया है। लेकिन दोनों ही बार मोदी को मारने की साजिश कामयाब नहीं हुई। सबसे पहले वर्ष 2004 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उनको मारने की साजिश हुई थी।

अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली ने भारतीय अधिकारियों को शिकागो में बताया था कि गुजरात पुलिस से साथ मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां का ताल्लुक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से था और वो उसकी मानव बम थी, जिसकों मानव बम के जरिए नरेंद्र मोदी को मारने का काम सौंपा गया था।

जबकि दूसरी बार अक्टूबर 2014 में नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश की गई। जब वे पटना में भाजपा की चुनावी रैली को संबोघित करने वाले थे। रैली से पहले पटना के गांधी मैदान में सिलेसिलेवार कई घमाके हुए थे। पीएम मोदी की जान को खतरा तो भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी खुफिया एजेंसी भी इसको लेकर भारत को आगाह कर चुकी है। खुफिया विभाग और उनकी सुरक्षा में लगी एजेंसियों को जो सूचनाएं प्राप्त हुई हैं उससे पता चलता है कि आतंकी संगठनों से प्रधानमंत्री मोदी को लगातार धमकियां मिल रही हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को खतरे के अलर्ट को देखते हुए खुफिया एजेंसियों और उनकी सुरक्षा में तैनात एजेंसियों ने उनकी सुरक्षा काफी बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में विभिन्न घेरों के तहत एक हजार से ज्यादा कमांडो तैनात हैं, जबकि मनमोहन सिंह के आंतरिक सुरक्षा घेरे में लगभग 600 सुरक्षाकर्मी ही होते थे।

नमनभारत.कॉम से साभार

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