गणपति के दोनों ओर उनकी दोनो पत्नियां रिद्धि और सिद्धि मौजूद हैं जो धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक है। सन 1801 में निसंतान देवबाई पाटिल ने एक चबूतरे पर भगवान गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा करने लगी जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुईं। फिर धीरे-धीरे इसकी प्रसिद्धि फैलती गई और यहां लोग अपनी मन्नतें मांगने लगे।