अयोध्या: एक क्लिक में पढ़ें अयोध्या की ताजा खबर

अयोध्या केवल श्रीराम जन्मभूमि नहीं है ये मानव मात्र की जन्मभूमि है- रामानुजाचार्य स्वामी

अयोध्या शब्द सुनते ही स्वत: अर्थ बोध होने लगता है।जहां कोई युद्ध न हो ।जहां के लोग युद्ध प्रिय न हो,जहां के लोग प्रेम प्रिय हो।जहां प्रेम का साम्राज्य हो। जो श्रीराम प्रेम से पगी हो वो अयोध्या है। इसका एक नाम अपराजिता भी है। जिसे कोई पराजित न कर सके ,जिसे कोई जीत न सके,अथवा जहां आकर जीतने की इच्छा ख़त्म हो जाये जहां सिर्फ़ अर्पण हो समर्पण हो वो अयोध्या है। अथवा इसका एक नाम अवध भी है और श्रीराम अवधेश कहलाये। अवध का अर्थ है अवधि अस्यामिति अवध:।

तात्पर्य जिसकी सुन्दरता की सीमा न हो जो अप्रतिम सौन्दर्य सम्पन्न हो वो अयोध्या है। युद्ध रहित,अपराजेय और असीमित सौन्दर्य से युक्त इस नगरी की शोभा अनुपमेय है। इसे विश्व की सबसे प्राचीनतम नगरी होने का गौरव प्राप्त है। सृष्टि वर्णन में मनु जी महाराज ने जब पृथ्वी को प्राप्त किया तो सबसे पहले उन्होंने अयोध्या नगरी को बसाया। और यहीं से मानवीय सृष्टि का आरम्भ हुआ।

 जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश महाराज के अनुसार अयोध्या केवल श्रीराम की जन्मभूमि नहीं है ये मानव मात्र की जन्मभूमि है। महर्षि वाल्मीकि ने इसे त्रैलोक्य विश्रुता नगरी कहा है। वेद और शास्त्रों में वर्णित अयोध्या नगरी के आह्लाद का जो वर्णन मिलता है वो पुन: सदियों के बाद अनुभव करने को मिल रहा है। गन्ने के रस की तरह सरयू नदी के जल का माधुर्य और यहाँ की मिट्टी से परब्रह्म के संस्पर्श का सुखद अहसास निश्चित ही तन-मन को पुलकित करने वाली है।संघर्ष जितना बड़ा होता है।

उसके बाद का आनन्द उससे कई गुना बड़ा होता है।सम्प्रति अयोध्या की धरती पर एक दिव्य उत्साह है, आनन्द पर्व है। अयोध्या धाम के सभी मंदिरों की साज-सज्जा देखते ही बनती है। श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर निर्माण कार्य के शुभारंभ होने के बाद अयोध्या नगरी सज-धज कर वैसे ही तैयार है, जैसे त्रेता में वनवास पश्चात भगवान श्रीराम के शुभागमन पर हुई थी …। परात्पर-ब्रह्म श्रीराम की प्राकट्य-स्थली को जैसा होना चाहिये अब वो वैसी ही हो जाये यही संकल्पना यहाँ के प्रत्येक लोगों के मानस में है। क्योंकि श्रीराम के विना भारतीय जनमानस की कल्पना नहीं हो सकती ।

आचार्य रत्नेश के अनुसार अयोध्या वह भूमि है जिसने परमात्मा राम को प्रकट किया। वह श्रीराम जो रोम-रोम में श्वास-श्वास में समाये हैं। भगवान श्रीराम हमारी भारतीय सनातन संस्कृति के प्राण हैं। श्रीराम इस संस्कृति के सूर्य हैं। श्रीराम भारत की संस्कृति का सौंदर्य, शील, माधुर्य और औदार्य हैं। श्रीराम परात्पर ब्रह्म हैं। भगवान श्रीराम भारत के प्राण हैं, राम का चरित्र भारतीय संस्कृति की आत्मा है। बिना श्रीराम के चरित्र के भारत निष्प्राण है।भारतीय जनमानस के रोम- रोम में राम बसे हुए हैं। संसार सागर से पार उतरने का प्रमुख साधन राम नाम ही है। संयम, शांति, सौहार्द, सांप्रदायिक-एकता एवं समन्वय ही धर्म का वास्तविक स्वरूप है। श्रीराम साक्षात धर्म विग्रह हैं ! अतः हम परस्पर प्रीति एवं एकात्मता के दिव्य भाव में स्थिर रहें। भगवान श्रीराम की चारित्रिक विशेषताएं, उनका जीवन व शिक्षाएं आज भी सर्वथा प्रासंगिक हैं। भारत की प्रभात के प्रथम स्वर हैं – राम।

गांव-गांव, खेत-खलिहान, हिम पट्टिकाओं से लेकर उद्यमों और मठ-मंदिरों तक कोई स्वर गूंजता है तो वह ‘राम’ नाम है। राम सत्य, सनातन और सर्वव्यापी हैं। वह प्रसव पीड़ा में तो याद आते हैं, अंतिम समय में भी याद आते हैं। सुबह भी भारतीय जनमानस ‘जय रामजी’ कहता है और अंतिम समय में भी ‘राम नाम सत्य है’ कहा जाता है। जगु स्वामी रत्नेश के अनुसार भारत की उदारता का नाम है – राम। राम का आश्रय मिलते ही भय, शोक और शरीर की जड़ता का नाश हो जाता है। राम भारत की कालजयी सनातन संस्कृति के मेरुदंड हैं। राम के अवलंबन का अर्थ मर्यादा, शील, चरित्र और संयम का अनुगमन है ! राम-स्मृति सर्वथा कल्याणकारी है। राम नाम ब्रह्म सुख की अनुभूति कराने वाला है। जो राष्ट्र का मंगल करे, वही राम है।

जो लोकमंगल की कामना करे, वही राम है। सबसे आदर्श और मर्यादित व्यक्तित्व ही श्रीराम है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन संघर्षमय रहा। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने मर्यादा नहीं छोड़ी और वानर जाति को साथ लेकर लंकापति रावण का दमन किया। जहां नीति है, धर्म है, वहां श्रीराम साथ हैं। इसलिए संसार में उनसे बड़ा आदर्श पुरुष दूसरा कोई नहीं हुआ। तभी तो उन्हें ‘पुरुषोत्तम श्रीराम’ कहा जाता है …।ऐसे श्रीराम जिस धरती के क्रोड में खेले हों वो अयोध्या पुन: अपने स्वरूप में प्रतिष्ठित हो यही अभिलाषा समस्त लोगों की है।

पुरानी रंजिश को लेकर पति पत्नी पर हमला, घायल

मवई ,अयोध्या । मवई थाना क्षेत्र के ग्राम कंदई मजरे उमापुर में पुरानी रंजिश को लेकर खेत की रखवाली कर रहे पति पत्नी की 11 अगस्त की रात्रि जमकर पिटाई कर दी गई। पीड़ित की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

बाबा बाजार चौकी इंचार्ज दृवेश त्रिवेदी ने बताया कि ग्राम कंदई में समल बहादुर तथा उनकी पत्नी सोमवार की रात को छुट्टा जानवर से अपने खेत को बचाने के लिये रखवाली कर रहे थे। गांव के ही इंद्रजीत,राम समुंदर मुनीजर ने खेत मे जाकर दोनों पति पत्नी की जम कर पिटाई कर दी। सूचना पाकर चौकी इंचार्ज दृवेश त्रिवेदी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच कर घायलों को उपचार के लिये सी एच सी मवई भेजा तथा आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रभारी निरीक्षक मवई राम किशन राना ने बताया कि इस सम्बंध में तारावती पत्नी राम अचल तथा तीन अन्य आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर चालान भेज दिया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीकापुर में तैनात स्वास्थ्य पर्यवेक्षक का निधन

बीकापुर,अयोध्या। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीकापुर में तैनात स्वास्थ्य पर्यवेक्षक सीपी सिंह की बीमारी के चलते रविवार सुबह निधन हो गया। बस्ती जनपद के निवासी करीब स्वास्थ्य पर्यवेक्षक सीपी सिंह बस्ती जनपद के निवासी थे। फैजाबाद शहर में निवास करते थे। वह काफी अरसे से स्वास्थ्य पर्यवेक्षक पद पर तैनात थे। अगले माह 30 सितंबर 2020 को उन्हें सेवानिवृत्त होना था।

स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी देव प्रकाश वर्मा ने बताया कि कुछ समय से वह ब्रेन ट्यूमर और अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। लखनऊ में इलाज चल रहा था। रविवार सुबह फैजाबाद में उनका निधन हो गया। मौत की खबर मिलने के बाद सीएचसी के अधीक्षक अब्दुल खतीब अंसारी, डॉ सतीश चंद्र, डॉ दीपक सिंह, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक आरके सिंह, शिवम पांडेय, सहायक शोध अधिकारी सतीश चंद्र तिवारी, स्वास्थ शिक्षा अधिकारी देव प्रकाश वर्मा, फार्मासिस्ट अनुराग मिश्रा, सुभाष चौधरी कनिक राम, सिरातुल, अशोक कुमार, गिरधारी लाल आदि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा गहरी शोक संवेदना जताई गई है।

अधीक्षक अब्दुल खतीब अंसारी ने बताया कि स्वास्थ्य पर्यवेक्षक सीपी सिंह मानवता की सेवा और अपने ड्यूटी के प्रति पूरे कर्तव्य निष्ठा के साथ समर्पित रहते थे पिछले कई महीनों से वैश्विक महामारी कोरोना संकट के दौरान अस्पताल और फील्ड में बीमार होने के बावजूद समर्पित भाव से ड्यूटी करते रहे हैं।

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