अन्ना हजारे ने लिया शपथपत्र … ताकि फिर न पैदा हो कोई केजरीवाल !

मुंबई। समाजसेवी अन्ना हजारे शुक्रवार से दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बार फिर अनशन पर बैठने जा रहे हैं। इस बार भी उनके साथ 2011 जैसी ही कार्यकर्ताओं की एक टीम होगी। लेकिन इस बार की टीम का हर सदस्य एक शपथपत्र अन्ना को दे चुका है कि वह भविष्य में किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा।

अन्ना हजारे ने यह शपथपत्र अपने कार्यकर्ताओं से इसलिए लिया है, ताकि भविष्य में उनके आंदोलन के सहारे नया केजरीवाल, सिसौदिया या किरण बेदी पैदा न हो। अन्ना के अनुसार यह अच्छी बात है कि इस बार के आंदोलन में 2011 के आंदोलन का कोई सदस्य नहीं है। हमने नए सदस्यों की एक टीम बनाई है, जिसमें सभी सदस्यों ने यह शपथपत्र दिया है कि वह भविष्य में कभी राजनीति में शामिल नहीं होंगे। इस शपथपत्र पर हस्ताक्षर के बाद ही हमने उन्हें अपने साथ काम करने की अनुमति दी है।

शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के पुण्य बलिदान दिवसर 23 मार्च से शुरू हो रहे अपने आंदोलन के इस चरण के लिए अन्ना ने देश भर में घूम-घूम कर 600 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है। इनमें 20 सदस्यों की एक कोर टीम भी बनाई गई है। यह टीम रामलीला मैदान में उसी तरह आंदोलन का संचालन करेगी, जैसे 2011 के आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास और किरण बेदी किया करते थे।

अन्ना का यह आंदोलन केंद्र में लोकपाल एवं सभी राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग के साथ-साथ सिटिजन चार्टर लागू करने एवं किसानों की समस्याओं को केंद्र में रखकर हो रहा है। अन्ना का कहना है कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद वह उन्हें कई बार ये मांगें पूरी करने के लिए पत्र लिख चुके हैं। लेकिन उनके पत्रों के जवाब तक नहीं दिए गए। यहां तक कि दिल्ली में आंदोलन की जगह मांगने के लिए भी पिछले चार महीने में 16 पत्र लिख चुके हैं।

अब जाकर सरकार ने उन्हें रामलीला मैदान में आंदोलन की अनुमति दी है। इस बार के आंदोलन में अन्ना की 20 सदस्यीय कोर कमेटी में दो सदस्य शिवाजी खेडकर एवं कल्पना ईनामदार महाराष्ट्र से हैं। इसी प्रकार कर्नल दिनेश नैन एवं मनींद्र जैन दिल्ली से, विक्रम टापरवाड़ा राजस्थान से, अक्षय कुमार उड़ीसा से एवं करणवीर थामन पंजाब से हैं।

शिवाजी खेडकर कहते हैं कि आंदोलन दिल्ली और शेष देश में एक साथ शुरू होगा। 2011 जैसा माहौल अभी भले न दिखाई दे रहा हो, लेकिन आंदोलन से जुड़े लोग पूरे देश में लोगों को अन्ना की मांगों के प्रति जागरूक करेंगे। खेडकर का कहना है कि अन्ना के साथ वह लोग देश एवं समाज के लिए जुड़े हैं। हम इसमें निजी स्वार्थ के लिए नहीं आए हैं। हममें से कोई भी राजनीति में नहीं जाना चाहता।

2011 का अन्ना आंदोलन

समाजसेवी अन्ना हजारे 2011 में भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध दिल्ली के रामलीला मैदान में लंबा आंदोलन कर चुके हैं। इस आंदोलन की भूमिका ‘इंडिया अगेन्ट्ब करेप्शन’ नामक सामाजिक संगठन का गठन करके पूरे देश में खड़ी की गई थी, जिसके अगुवा दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थे। इंडिया अगेन्ट्ल करेप्शन द्वारा तैयार जमीन पर अन्ना ने 16 अगस्त, 2011 से 28 अगस्त, 2011 तक रामलीला मैदान में अनशन किया था। तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों के कारण देश की जनता भी बड़ी संख्या में अन्ना का साथ देने रामलीला मैदान पहुंच रही थी।

कहा जाता है कि भाजपा और राष्री ीय स्वयंसेवक संघ भी आंदोलन को परोक्ष समर्थन दे रहे थे। जिससे न सिर्फ अच्छा माहौल बना, बल्कि केंद्र सरकार को अन्ना की मांगों के सामने झुकना भी पड़ा। संसद में अन्ना के जनलोकपाल बिल सहित कुछ और मांगों पर देर रात तक चर्चा हुई। लोकसभा अध्यक्ष के कहने पर प्रस्ताव पारित हुआ। तब अन्ना ने 28 अगस्त, 2011 को सुबह 10.15 बजे अपना अनशन खत्म किया। लेकिन अन्ना ने उस समय भी कहा था कि उन्होंने अपना अनशन खत्म किया है न कि आंदोलन। जब तक केंद्र में लोकपाल एवं राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त करने का कानून नहीं बन जाता, वह पूरे देश में भ्रमण करेंगे, और जरूरत पड़ने पर पुनः आंदोलन भी करेंगे।

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